नई दिल्ली। भाजपा नेतृत्व ने बार-बार आगाह किए जाने के बावजूद संसदीय कार्यवाही को नजरअंदाज कर रहे सांसदों को सख्त लहजे में अनुशासन और जिम्मेदारी की याद दिलाई है। यह भी अहसास कराया कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी फिर वह मंत्री हों या सांसद।
संसदीय दल की बैठक के बीच गैरहाजिर सांसदों का नाम पुकारे जाने पर उन्हें खड़ा होना पड़ा जो भूमि अधिग्रहण जैसे महत्वपूर्ण विधेयक पारित होने के वक्त भी सदन से अनुपस्थित थे। इसमें कुछ मंत्री भी शामिल थे।
मंगलवार की सुबह भाजपा संसदीय दल की बैठक का असर लंबे वक्त तक पार्टी सांसदों के जेहन में रहेगा। बताते हैं कि संसदीय कार्यमंत्री एम. वेंकैया नायडू ने लगभग दो दर्जन उन सांसदों के नाम गिनाए जो भूमि अधिग्रहण विधेयक पारित होने के वक्त सदन से गैरहाजिर थे। नाम बुलाए जाने के साथ उन्हें खड़ा होना पड़ा।
सूत्रों की मानी जाए उसमें केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो, वरुण गांधी, पूनम महाजन, रिति पाठक जैसे कई सांसदों का नाम लिया। तोमर के पास बचाव का रास्ता था और उन्होंने बताया कि उनकी राज्यसभा में ड्यूटी थी।
जिन लोगों के नाम बुलाए गए उनसे से तीन-चार तो बैठक में भी मौजूद नहीं थे। हर किसी के पास कोई न कोई तर्क था लेकिन सरकार की ओर से उन्हें यह संकेत दे दिया गया कि सांसद चुनकर आए हैं तो प्राथमिकता भी संसद होनी चाहिए।
दरअसल एक सदस्य ने यह तर्क दिया कि वह अपने राज्य की जिला परिषद चुनाव में व्यस्त थे। मंगलवार को जिस तरह सख्त लहजे में अनुशासन और जिम्मेदारी की याद दिलाई गई उसके बाद शायद भाजपा सांसद पाबंद हों।
गौरतलब है कि मंगलवार को भी कुछ सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बैठक में आने के बाद आए थे। इससे पहले राज्यसभा में इंश्योरेंस विधेयक पारित होने के वक्त भी मौजूदगी बहुत कम थी।
देखा गया कि शुक्रवार को भी सांसद दोपहर से पहले अपने अपने क्षेत्र के लिए रवाना हो जाते हैं। जबकि हर किसी को शाम के बाद ही दिल्ली छोड़ने का निर्देश था।