राकेश दुबे@प्रतिदिन। मध्यप्रदेश में अमानक व नकली दवाओं की आपूर्ति को नियमित करने वाले मलाई काट रहे हैं और खुलासा करने वाले 'व्हिसल ब्लोअर' डॉ. अजय खरे की सड़क हादसे में मौत सवालों के घेरे में है। हर तरफ से डॉ. खरे की मौत की निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग उठ रही है। डॉ. खरे ने राज्य में ऐसी 147 दवाओं की आपूर्ति का पर्दाफाश किया था जो राज्य की प्रयोगशाला में जांच के बाद अमानक पाई गई ।
कहने को राज्य सरकार की दवा खरीद नीति में साफ कहा गया है कि दवा की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही खरीद की जाए, मगर राज्य में 147 दवाएं नमूना रिपोर्ट आने से पहले ही दो वर्ष तक खरीदी गई बांटी गई और बिकती रहीं। सरकारी कारकून इस तरह 'पोल खोल अभियान' चलाए, यह आखिर कैसे बर्दाश्त किया जा सकता था! सरकार ने यहाँ तक कह डाला कि डॉ. खरे जनता को भ्रमित कर रहे हैं।
जिस दिन डॉ. खरे की मौत हुई, उस दिन के अखबारों में भी राज्य में आयरन के अमानक इंजेक्शन लगाए जाने की खबर छपी थी। इस खबर में भी डॉ. खरे ने अपनी बात दमदार तरीके से कही थी। डॉ. खरे की बड़वानी से भोपाल लौटते वक्त सीहोर जिले में वहन दुर्घटना में मौत हो गई| चालक को मामूली चोटें आईं। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे उस हादसे को संदिग्ध मानते हैं। उन्हें आशंका है कि नकली दवाओं के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले डॉ. खरे के खिलाफ सुनियोजित षड्यंत्र रचा गया। उन्होंने इस हादसे की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की है। मांग तो मध्यप्रदेश सरकार से और मामलों में भी हुई पर सरकार अपने मतलब कि बात करती है और प्रतिपक्ष अपने मतलब की| जनता के मतलब कि बात तो हमेशा ऐसे ही दबा दी जाती है| हर “व्हिसिल ब्लोअर” को सरकार भ्रमित कहती है, और जनता को भ्रमित करती है |
लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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rakeshdubeyrsa@gmail.com
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