भोपाल। कोलार के बहुचर्चित कलियासोत घोटाले के मामले में अब कलेक्टर ने बॉल मप्र शासन के पाले में डाल दी ताकि सनद रहे और वक्त जरूरत काम आवे। याद दिला दें कि कोलार में कुछ बिल्डर्स ने प्रशासनिक मिलीभगत के चलते कालियासोत नदी पर अतिक्रमण कर मल्टियां तान दी गईं हैं। बिल्डर्स को राजनैतिक संरक्षण भी प्राप्त है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल इस मामले की सुनवाई कर रहा है।
गौरतलब है कि एनजीटी ने इस मामले में पिछली सुनवाई के दौरान जिला प्रशासन और अन्य विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाई थी और जवाब देने के लिए 27 मार्च को नगरीय प्रशासन प्रमुख सचिव को तलब भी किया है। सूत्रों का कहना है कि कलियासोत नदी के सीमांकन का फैसला अगली सुनवाई पर जिला प्रशासन द्वारा जवाब पेश करने के बाद ही हो सकेगा। उधर, एसडीएम हुजूर माया अवस्थी कलियासोत नदी के सीमांकन को लेकर नए निर्देश नहीं मिलने की बात कह रही हैं। उनका कहना है कि निर्देश मिलने के बाद प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
- यह हुआ अब तक
- एनजीटी के निर्देश पर जिला प्रशासन ने 15 दिसंबर से कलियासोत नदी का सीमांकन शुरू किया था। नदी के दोनों और 33-33 मीटर के दायरे में सीमांकन होना है।
- एनजीटी के निर्देश के मुताबिक इस दायरे में आने वाले अतिक्रमण को हटाया भी जाना है।
- जिला प्रशासन करीब 20 किलोमीटर तक का सीमांकन पूरा कर चुका है। इस दायरे में एक दर्जन बिल्डर, झुग्गी बस्ती सहित अन्य अतिक्रमण आ रहे हैं।
- नगरनिगम चुनावों के दौरान यह मामला सुर्खियों में रहा और वोटों के लिए सीएम ने भी वादा किया कि किसी को मकान नहीं तोड़ा जाएगा।
- इसके बाद जिला प्रशासन ने एनजीटी को जवाब दिया कि कालियासोत नदी का रूट बदलता रहता है अत: सीमांकन नए सिरे से करना होगा।
कुल मिलाकर अतिक्रमण में बने मकानों और मल्टियों को बचाने का उपक्रम किया जा रहा है। सीएम ने भी वादा कर दिया है अत: नदी के साथ खिलवाड़ की तैयारी है परंतु नदी के सुरक्षागार्ड भी टकटकी लगाए बैठे हैं अत: कलेक्टर खुद को टारगेट बनवाने के बजाए शासन स्तर पर सुझाव मांगकर बीच का रास्ता निकालने का प्रयास कर रहे हैं।
