जबलपुर। बहुचर्चित व्यापमं फर्जीवाड़े के एक आरोपी की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान मंगलवार को एक और फर्जीवाड़ा उजागर हुआ। अग्रिम जमानत का आवेदन उस आरोपी ने दायर किया जो पहले ही गिरफ्तार हो चुका है। हाईकोर्ट ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है और इसकी सूक्ष्मता से जांच होनी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश एएम खानविलकर और जस्टिस आलोक अराधे की खंडपीठ ने शपथ आयुक्त सुमन सोनी के खिलाफ जांच कर कार्रवाई करने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिए।
हुआ यूं कि मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रायबरेली में रहने वाले अरविंद पांडे के खिलाफ छतरपुर की सिविल लाइन पुलिस ने पीएमटी 2006 में गड़बड़ी करने व्यापमं घोटाले के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया था। पांडे ने छतरपुर की अदालत में जमानत आवेदन पेश किया था जो 9 फरवरी को निरस्त हो गया। इसके बाद हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन पेश किया गया। मामले पर आवेदक की ओर से अधिवक्ता प्रकाश उपाध्याय हाजिर हुए। उपाध्याय के ऑफिस क्लर्क महेंद्र साहू ने शपथ पत्र में स्पष्ट लिखा है कि आवेदक ने 25 फरवरी को अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दायर की।
राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि आरोपी को 17 फरवरी को ही गिरफ्तार किया जा चुका है। हाईकोर्ट ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जब आरोपी पुलिस की गिरफ्त में है तो वह 25 फरवरी को शपथ आयुक्त के समक्ष शपथ पत्र पेश करने कैसे हाजिर हुआ। हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए शपथ आयुक्त के खिलाफ 4 सप्ताह में जांच कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए।