ग्वालियर। जनसामान्य में धारणा है कि थानों में तैनात वर्दीवाली पुलिस के अलावा शेष जितने भी जांच दल होते हैं, बड़े ईमानदार होते हैं, फिर चाहे वो आयकर विभाग हो या लोकायुक्त, या फिर एसटीएफ या ईओडब्ल्यू। लेकिन वास्तिविकता ऐसी है नहीं। गोलमाल यहां भी होता है। 240 करोड़ के कम्प्यूटर खरीदी घोटाले में ईओडब्ल्यू की चुप्पी कुछ ऐसा ही इशारा कर रही है।
क्या है मामला
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने वर्ष 2013 में क्षेत्र के साथ-साथ प्रदेश की 33 हजार पंचायतों में कम्प्यूटर की-बोर्ड, सीपीयू, स्कैनर, लेजर प्रिंटर, यूपीएस, लैंस, स्विच, पैनड्राइव तथा 42 इंच एलईडी टीबी के लिये प्रति पंचायत 1 लाख 13 हजार 800 टैक्स सहित राशि पंचायतों के खातों में जमा कराई थी। करीब 240 करोड़ रूपये का भुगतान किया गया।
उपकरण खरीदी में टेंडर प्रक्रिया के जरिये कुछ चुनिंदा कंपनियों से उपकरण खरीदे जाने थे। उक्त खरीदी में गड़बड़ी के मामले की शिकायत डेढ़ साल पहले ईओडब्ल्यू में राजधानी में की गई थी। ईओडब्ल्यू ने इस बारे में सामान्य प्रशासन विभाग से अभिमत मांगा, लेकिन इसके आगे की जांच पड़ताल ठप है। उपकरणों को पंचायतों की बजाय सरपंचों और प्रभावशाली लोगों के घरों में भेज दिया गया। जिसकी शिकायत हुई।