IT में घट रहीं हैं नौकरियां

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मुंबई। आगामी वर्षों के दौरान घरेलू आईटी इंडस्ट्री में नए कर्मचारी नियुक्त करने की रफ्तार धीमी पड़ेगी। इस उद्योग की प्रतिनिधि संस्था नैसकॉम ने अनुमान लगाया है कि वित्त वर्ष 2015-16 में मौजूदा वित्त वर्ष के मुकाबले 30,000 या 13 प्रतिशत कम नए जॉब पैदा होंगे। दरअसल, नई टेक्नोलॉजी से कई कर्मचारियों की भूमिका बेमानी हो गई हैं।

इसके अलावा कंपनियां दक्षता (इफिशिएंसी) बढ़ा रही है क्योंकि उनके क्लाइंट्स कम स्टाफ से ज्यादा आउटपुट की मांग कर रहे हैं। इसे एक नए चलन की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है। नैसकॉम के अध्यक्ष और कॉग्निजेंट इंडिया के कार्यकारी उपाध्यक्ष आर. चंद्रशेखरन के मुताबिक, "आईटी इंडस्ट्री ऐसे उपायों पर काम कर रही है, जिनकी बदौलत आय और कर्मचारियों की संख्या को एक-दूसरे से अलग किया जा सके। दूसरे शब्दों में कर्मचारियों की तादाद का असर कंपनी की आय पर न पड़े। इसके लिए ऑटोमेशन और प्लेटफॉर्म आधारित आय वृद्घि पर जोर दिया जा रहा है।"

चंद्रशेखरन ने हाल ही में नैसकॉम इंडिया लीडरशिप फोरम ये बातें कही थी। चंद्रशेखरन ने स्पष्ट किया कि आईटी इंडस्ट्री नए कर्मचारियों की नियुक्ति करेगी, लेकिन रफ्तार में बदलाव आ सकता है।

आय के मॉडल में बदलाव
देश की आईटी आउटसोर्सिंग कंपनियां आम तौर पर अपने-अपने क्लाइंट्स के प्रोजेक्ट्स में काम करने वाले कर्मचारियों के आधार पर बिल बनाती हैं। इस व्यवस्था के कारण आईटी कंपनियों की आय सीधे-सीधे कर्मचारियों की तादाद से जुड़ जाती है। यही वजह है कि इस इंडस्ट्री में बार-बार किए जाने वाले एक ही तरह के काम और लो-लेवल जॉब्स के लिए ऑटोमेशन पर जोर दिया जा रहा है।

नए ट्रेंड से मुश्किल में फ्रेशर्स
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम समझदारी) और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसे बिजनेस पर आईटी इंडस्ट्री का फोकस बढ़ा है। यही कारण है कि ऐसे बिजनेस में निपुण लोगों की मांग तेजी से बढ़ी है। लेकिन दूसरे लोगों, खास तौर पर नए ग्रैजुएट्स के लिए नौकरी तलाशना मुश्किल हो सकता है।

2 लाख नए जॉब्स का अनुमान
नैसकॉम ने अंदाजा लगाया है कि 1 अप्रैल, 2015 से शुरू होने वाले वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान आईटी सेक्टर में करीब 2 लाख नई नौकरियां पैदा होंगी। सबसे अच्छे हालात में भी नई नियुक्तियां 2.3 लाख से ऊपर नहीं जाएंगी। इसका मतलब है कि मौजूदा वित्त वर्ष के मुकाबले इस मामले में 10-13 प्रतिशत की कमी आएगी।

ग्रोथ बढ़ी, नियुक्तियां घटीं
वित्त वर्ष 2011 से लेकर 2014 के बीच कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रिया सुस्त रही थी। वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान इस मामले में थोड़ी तेजी आई। विश्लेषकों का कहना है कि यह ऐसा दौर रहा, जब आईटी इंडस्ट्री मोटे तौर पर वैश्विक मंदी जैसे हालात का सामना कर रही थी। अब हालांकि इस इंडस्ट्री की ग्रोथ बढ़ रही है, लेकिन कंपनियां तुलनात्मक रूप से कम नए कर्मचारियों की भर्ती कर रही हैं।

ऑटोमेशन बनी मजबूरी
कैपजेमिनी इंडिया के मुताबिक ऑटोमेशन की वजह से कर्मचारियों की तादाद और कंपनियों को होने वाली आय में निश्चित तौर पर बदलाव हुआ है। आईटी कंपनियों के क्लाइंट्स सौदों में 30-40 प्रतिशत उत्पादकता सुधार की मांग करने लगे हैं। इसका मतलब है कि उन्हें कम स्टाफ से ज्यादा आउटपुट चाहिए।

कैंपस हायरिंग घटी
कंपनियां अब फ्रेशर्स से ज्यादा अनुभवी लोगों को नौकरी पर रख रही हैं। इसीलिए कैंपस हायरिंग में कमी आ रही है। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान इन्फोसिस ने कॉलेज कैंपस से 30,000 छात्रों को नौकरी देने की योजना बनाई है, जो तीन साल में सबसे कम है।


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