मध्यप्रदेश : अध्यापक बनाम पुराने शिक्षक

राजेश मिश्रा। म.प्र. में दो प्रकार के शिक्षक हैं

पुराने-यह वे गधे हैं जिन्हे जब 151 रूपये वेतन मिलता था तब भी यह कोई हडताल नही कर पाए । इन्हे फूल्स फॉर रूल्स कहा जाता है क्योंकि यह शासन के नियमों को मानना अपना कर्तव्य मानते हैं। 10 वर्ष की सेवा के बाद इनका वेतन 3000 रूपये था। यह जिस पद पर आए उसी पर रिटायर हो जाते हैं। इनका एजुकेशन 12 से पी एच डी तक है। आयु 45 वर्ष से 61 वर्ष । राजनीतिक पहुँच सीमित।  प्रकार - प्राचार्य, व्याख्याता, शिक्षक, सहायक शिक्षक आदि। संख्या 2,90000.

नवीन शिक्षक - वरिष्ठ अध्यापक, अध्यापक, सहायक अध्यापक । यह प्रारंभ में 700 रूपये में नौकरी के लिए नूराकुश्ती करते रहे तथा तब इन्हे कम वेतन समस्या नहीं लगी पर कुछ ही महिनों में इनका संघ भी बन गया और वेतन बढाने की मांग शुरू हो गयी । इन्होंने 10-15 वर्षों में केवल हडताल ही की है कार्य नहीं । इनकी शिवराज सरकार में इतनी पैठ है कि केवल 10 वर्षों में इनका वेतन 25-30 वर्ष सीनियर शिक्षकों के बराबर हो गया है। ये 7-8 वर्षों में ही प्रमोट हो गये । इन्होंनें शिक्षा को कलंकित किया है शाला की छात्राएँ इनके लिए एक शरीर मात्र है। इन सबके बाद भी शासन पत्रकारिता में इनका घूसपैठ होने के कारण चलती इन्ही की है। वे सीनियरों को अपमानित करते और धौंस जमाते हैं।

जैसा कि श्री rajesh mishra ने ईमेल किया और बिना संशोधन प्रकाशित किया गया।

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