पढ़िए मोदी से क्यों निराश हो रहे हैं बड़े कारोबारी

मुंबई। देश के बैंकिंग क्षेत्र की प्रमुख हस्ती और एचडीएफसी के प्रमुख दीपक पारेख ने का मानना है कि मोदी सरकार के पहले नौ महीनों में जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं आया है और इससे उद्यमियों में बेचैनी पैदा होने लगी है। वहीं रिलायंस ग्रुप के रक्षा कारोबार में उतरने की घोषणा के कुछ दिन के अंदर उद्योगपति अनिल अंबानी ने कहा कि यह क्षेत्र नियामकीय सेंसर तथा जांच आदि के डर से 'बाधित' है और सरकार द्वारा इन चिंताओं पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है।

देश के बैंकिंग क्षेत्र की प्रमुख हस्ती और एचडीएफसी के प्रमुख दीपक पारेख ने देश में कारोबार की सुगमता के लिए 'प्रशासनिक बंदिशों' में ढील देने की वकालत करते हुए कहा है कि मोदी सरकार के पहले नौ महीनों में जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं आया है। पारेख ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को कच्चे तेल कीमतों में गिरावट से 'नौ भाग्यशाली महीने' मिले, लेकिन फिर भी जमीनी तौर पर कोई बदलाव नहीं आया। कारोबार करने में सहूलियत के मामले में भी कोई सुधार नहीं दिखा।

आशावादिता आय में नहीं बदल रही
पारेख ने कहा कि उद्योग जगत मोदी सरकार से अपेक्षित बदलावों को लेकर अब भी आशावान है, लेकिन यह आशावादिता आय में नहीं बदल रही है और 'कारोबार को सुगम बनाने' के मोर्चे पर अभी बहुत कम सुधार देखने को मिला है। पारेख को भारतीय उद्योग जगत के पथ प्रदर्शकों के रूप में देखा जाता है। वह नीति व सुधारात्मक मुद्दों पर गठित अनेक प्रमुख सरकारी समितियों के सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि 'मेक इन इंडिया' अभियान तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक कि लोगों के लिए कारोबार करना सुगम नहीं किया जाता और त्वरित फैसले नहीं किए जाते।

अब भी उम्मीद
उन्होंने पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा,'मेरी राय में देश के लोगों, उद्योगपतियों व उद्यमियों को अब भी बहुत उम्मीद है कि मोदी सरकार कारोबार के लिए, उन्नति के लिए व भ्रष्टाचार कम करने के लिए अच्छी होगी। उन्हें लगता है कि यह सरकार इन सभी मोर्चों पर काम करेगी।' पारेख ने कहा,'नौ महीने के बाद थोड़ी बहुत अधीरता सामने आने लगी है कि कोई बदलाव क्यों नहीं हो रहा और जमीनी स्तर पर असर दिखने में इतना समय क्यों लग रहा है।' उन्होंने कहा,'उम्मीद तो बरकार है लेकिन इसकी झलक कमाई में नहीं दिख रही। आप किसी भी उद्योग को लें, जब वहां बहुत आशावाद होता है तो वृद्धि तेज होनी चाहिए।'

जांच का भय दूर हो: अंबानी
पीटीआई, बेंगलुरु। रिलायंस ग्रुप के रक्षा कारोबार में उतरने की घोषणा के कुछ दिन के अंदर उद्योगपति अनिल अंबानी ने कहा कि यह क्षेत्र नियामकीय सेंसर तथा जांच आदि के डर से 'बाधित' है और सरकार द्वारा इन चिंताओं पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। उन्होंने '3सी -सीबीआई, सीवीसी व कैग- की दीर्घकालिक छाया को समाप्त करने तथा इसकी जगह दो नए 'सी' हौसला (करेज) व विश्वास (कनविक्शन) पैदा करने की जरूरत पर बल दिया।

सरकार में निर्णय करने में अभाव' की स्थिति
अंबानी ने कहा कि इन तीन सी के कारण 'सरकार में हर स्तर पर पहल व निर्णय करने में अभाव' की स्थिति आई। इसमें बदलाव की जरूरत है और हमें दो सी (करेज व कनविक्शन) की जरूरत है।' अंबानी की '3सी' टिप्पणी के बाद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने हस्तक्षेप करते हुए कहा,'एक और सी भ्रष्टाचार है और अगर इस सी को संभाल लिया जाए तो बाकी तीन सी का कोई अस्तित्व नहीं रहेगा और रक्षा क्षेत्र की प्रगति को कोई भी रोक नहीं पाएगा।' अंबानी ने कहा कि कोयला ब्लॉक की वर्तमान नीलामी में नौकरशाही को संरक्षण देने का उदाहरण देते हुए कहा इस तरह की पहल रक्षा खरीद में भी की जा सकती है। उल्लेखनीय है कि रिलायंस ग्रुप ने हाल ही में रक्षा व एयरोस्पेस विनिर्माण क्षेत्र के लिए तीन कंपनियां बनाई हैं. यहां एयरो इंडिया एयर शो में सीईओ बैठक में अंबानी ने पीपीपी माडल पर सरकारी रक्षा कोष स्थापित करने का सुझाव दिया।

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