दमोह। मध्यप्रदेश के दमोह में एमएलबी स्कूल के प्राचार्य ने अपने ही स्कूल में काम करने वाले चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को सम्मानित करने का ऐसा अनूठा उदाहरण पेश किया जो वहां मौजूद हर किसी को बड़ा सबक दे गया।
स्कूल के जो भृत्य रोज एक आवाज पर फाइलें और अन्य जरूरी वस्तुएं इधर-उधर पहुंचाते नजर आते थे आज वे स्कूल के वार्षिकोत्सव के मंच पर सम्मान के साथ बैठे थे। गेट पर ड्यूटी करने वाला चौकीदार भी विशिष्ट अतिथि था। प्रधानाचार्य ने खुद मंच पर आकर ऐसे पांच अतिथियों का स्वागत किया तो इन सभी की आंखें भर आईं।
नेता न अफसर, सारे अतिथि स्कूलकर्मी
समारोह की खास बात ये रही कि मुख्य अतिथि से लेकर अध्यक्षता तक के लिए न तो किसी जनप्रतिनिधि को बुलाया गया और न ही किसी अफसर को। स्कूल में सेवाएं देने वाले भृत्य भृत्य दीपचंद्र कुर्मी मुख्य अतिथि थे तो कार्यक्रम की अध्यक्षता भृत्य भैयालाल अहिरवार ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में भृत्य देवेंद्र दीन रोहितास, अरविंद अहिरवार और चौकीदार करोड़ीलाल बैरागी मौजूद थे।
अब लगा जैसे हम भी इंसान हैं
समारोह में बतौर विशिष्ट अतिथि मौजूद चौकीदार कड़ोरीलाल बैरागी ने कहा-32 साल से इसी स्कूल में नौकरी कर रहा हूं। कई प्राचार्य आए और चले गए लेकिन किसी ने हमारे बारे में नहीं सोचा। हमें तो लगता था कि हम सिर्फ चौकीदार हैं लेकिन आज लगा कि हम भी इंसान हैं। कड़ोरी की पत्नी किरण कुमारीबाई का कहना था कि आज तो हमें ऐसा लग रहा है जैसे हमारे घर में त्योहार हो। आज तो उन लोगों के सामने सम्मान मिला जिनके सामने हम कुछ भी नहीं हैं।
एक ही पल में मिले सारे सुख
भृत्य भैयालाल ने कहा-मुझे यकीन नहीं है कि जिस स्कूल के ऐसे कार्यक्रम में जहां हम लोगों को पानी पिलाते थे, उन्हें नाश्ता कराते थे आज उसी कार्यक्रम में हमें अतिथि बनाया गया है। ऐसा लगता है जैसे एक ही पल में भगवान ने जीवन के सारे सुखों का अनुभव करा दिया है।
इनकी भी खुशी का ठिकाना नहीं
भृत्य दीपचंद पटैल, देवेंद्र अहिरवाल और अरविंद अहिरवाल का कहना था कि अन्य लोगों की तरह हमारा भी परिवार है जो हमें काफी स्नेह करता है, लेकिन जहां हम कार्य करते हैं यदि वहां हमें प्यार और सम्मान मिलता है तो हम तो प्रसन्न होते ही हैं हमारे बच्चों का भी मान ब़ढ़ता है। आज यहां जो हमारा सम्मान हुआ है उससे खूबसूरत पल हमारे जीवन में दूसरा नहीं हो सकता।
जिन भृत्यों व चौकीदार ने स्कूल की सेवा में अपना जीवन लगा दिया, उन्हें सम्मानित करने की यह एक कोशिश भर है।
नरेंद्र नायक, प्राचार्य, एमएलबी स्कूल
