पढ़िए रिश्वतखोरी के खिलाफ अजीबोगरीब कानून ?

Bhopal Samachar
नई दिल्ली। भारत में रिश्वत गलत तरीके से फायदे देने के बदले ही नहीं ली जाती है। यहां प्राय: वाजिब काम करने के बदले में लोग घूस लेते हैं। लॉ कमीशन ने प्रस्तावित भ्रष्टाचार निरोधक कानून के खिलाफ यही बुनियादी दलील रखी है। इस प्रस्तावित कानून के मुताबिक, उन्हीं सरकारी कर्मचारियों को दंड दिया जा सकेगा, जिन्होंने कोई सरकारी काम ‘गलत तरीके’ से करने के बदले में रिश्वत ली हो। लॉ कमीशन ने कहा है कि प्रस्तावित कानून का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए और सही काम करने के लिए रिश्वत लेने वालों पर भी कार्रवाई का प्रावधान होना चाहिए।

इस प्रस्तावित कानून के मुताबिक, उन्हीं सरकारी कर्मचारियों को दंड दिया जा सकेगा, जिन्होंने कोई सरकारी काम ‘गलत तरीके’ से करने के बदले में रिश्वत ली हो। लॉ कमिशन ने कहा है कि प्रस्तावित कानून का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए और सही काम करने के लिए रिश्वत लेने वालों पर भी कार्रवाई का प्रावधान होना चाहिए।

प्रिवेंशन ऑफ करप्शन (अमेंडमेंट) बिल के अनुसार, अगर किसी सरकारी कर्मचारी ने ‘अनुचित काम करने’ के बदले रिश्वत ली, तो उसे दंड दिया जाएगा। हालांकि लॉ कमिशन का कहना है कि इसमें भारत की जमीनी हकीकत को नजरंदाज कर दिया गया है। सरकार को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में लॉ कमिशन ने कहा है, ‘इसमें उन स्थितियों को कवर नहीं किया गया है, जो भारत में बेहद आम हैं।

कई सरकारी कर्मचारी तो अपना काम ठीक ढंग से करने के लिए रिश्वत ले लेते हैं। मसलन, राशन कार्ड को वक्त पर प्रोसेस करने के लिए घूस ले ली जाती है।’ कमिशन ने कहा है कि ऐसे हालात को देखते हुए प्रस्तावित कानून में उपाय किए जाने चाहिए।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्रस्तावित कानून के तहत रिश्वत से जुड़े अपराध की नई परिभाषा ने करप्शन मानी जाने वाली हरकतों का दायरा काफी ‘घटा’ दिया है जबकि कानून का मकसद इसे बढ़ाने का था। रिपोर्ट में कहा गया है कि काम कराने के एवज में सेक्सुअल फेवर्स को प्रस्तावित कानून में कवर नहीं किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रिवेंशन ऑफ करप्शन ऐक्ट 1988 में कहा गया था कि ‘वैध शुल्क के अलावा कोई भी दी गई चीज या किया गया फेवर’ रिश्वत माना जाएगा, जबकि प्रस्तावित कानून में ‘फाइनैंशल या अन्य लाभ’ को रिश्वत बताया गया है।

लॉ कमिशन की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘नए फॉर्म्युलेशन से उलट रिश्वत की परिभाषा को अब तक सिर्फ रुपये-पैसे तक सीमित नहीं रखा गया है। उदाहरण के लिए, किसी सरकारी कर्मचारी से कोई काम कराने या कोई काम करने से रोकने के बदले उसे दिए गए यौन आनंद को भी रिश्वत के दायरे में कवर किया गया है।

हालांकि फाइनैंशल ऐंड अदर अडवांटेज की शब्दावली की व्याख्या अगर किसी कानून के दायरे में आने वाली चीजों जैसी ही दूसरी चीजों पर वह नियम लागू होने के सिद्धांत के अनुसार की जाए तो अदर अडवांटेज की शब्दावली सरकारी कर्मचारी को दिए गए सेक्सुअल फेवर को कवर नहीं करती है क्योंकि अदर अडवांटेज को फिर फाइनैंशल पहलू से ही जोड़कर देखा जाएगा।’

कमिशन ने कहा है कि भारत ने यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन अगेंस्ट करप्शन को स्वीकार किया था और इसी वजह से प्रस्तावित विधेयक की जरूरत पड़ी थी, लेकिन जो संशोधन हैं, वे काफी हद तक यूके ब्राइबरी ऐक्ट 2010 के प्रावधानों जैसे हो जाएंगे। कमिशन ने कहा है, ‘यूके ब्राइबरी ऐक्ट के कुछ प्रावधानों को प्रस्तावित विधेयक में रख देने का कदम भले ही खूब सोच-समझकर उठाया गया हो, लेकिन यह गलत है और इससे भ्रम और अस्पष्टता और बढ़ेगी।’

भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
Facebook पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!