पब्लिक बोली: MODI चाहिए, RSS को दूर भगाइए

नई दिल्ली। ठीक सात महीने पहले नरेंद्र मोदी ने भारत के 15वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। तब वह विकास के नारों पर सवार होकर केंद्र की सत्ता में पहुंचे थे। लोगों ने उनके नारों पर भरोसा किया था, और साफतौर पर यह भरोसा शहरी मध्यम वर्ग में अभी भी कायम है। देश के आठ सबसे बड़े शहरों में अधिकांश लोगों का यह मानना है कि अभी तक मोदी सरकार ने बेहतरीन काम किया है और उनको उम्मीद है कि यह सराकर आगे भी बढ़िया करेगी। यह सारी बातें IPSOS द्वारा देश के आठ सबसे बड़े शहरों में कराए गए सर्वे से सामने आई हैं।
हालांकि लोगों को यह भी शिकायत है कि संघ परिवार पीएम के डिवेलपमेंट अजेंडा की धज्जियां उड़ा रहा है। लोगों के अनुसार सरकार का मुख्य काम विकास ही है। यह सर्वे IPSOS ने दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नै, बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और अहमदाबाद में किया था। इस सर्वे में हिस्सा लेने वाले 28% लोगों का मानना था कि मोदी सरकार ने अभी तक बहुत अच्छा काम किया है, जबकि 47% लोगों को सराकर का काम बढ़िया लगा। इन दोनों को जोड़ दिया जाए तो तीन-चौथाई लोग सरकार के कामकाज से संतुष्ट दिखे। 21% लोगों ने सरकार के कामकाज को ठीक-ठाक कहा जबकि सिर्फ 4% लोगों का मानना था कि मोदी सरकार का प्रदर्शन बुरा रहा।

इस सर्वे से यह साफ पता चलता है कि लोगों को सरकार से बहुत उम्मीदें हैं। तीन-चौथाई से ज्यादा (78%) लोगों का मानना था कि सरकार पर उनका भरोसा अभी भी उतना ही है जितना इसके बनते समय था। सिर्फ 18% लोगों ने कहा कि सरकार से उनकी उम्मीदों को झटका लगा है। लोगों की उम्मीदों के अनुरूप प्रदर्शन करना मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी।

...तो पब्लिक सरकार से चाहती क्या है?
जब लोगों से पूछा गया कि आप डिवेलपमेंट और इकनॉमिक ग्रोथ, हिंदुत्व या फिर दोनों के मिश्रण में से क्या चाहेंगे, तो उनका जवाब बिल्कुल साफ-साफ था। दो-तिहाई से ज्यादा लोगों का मानना था कि सरकार को विकास और अर्थव्यवस्था की तरफ ज्यादा ध्यान देना चाहिए। जबकि सात में से सिर्फ एक (14%) व्यक्ति का कहना था कि सराकार का मुख्य कार्य हिंदुत्व को बढ़ावा देने का होना चाहिए। वहीं 16% लोग चाहते थे कि मोदी सरकार विकास और हिंदुत्व, दोनों पर बराबर ध्यान देती चले।

खतरे की घंटी
ऐसा नहीं है कि सर्वे में सब कुछ सरकार के लिए अच्छा ही अच्छा है। यह पूछे जाने पर कि क्या संघ परिवार के नेताओं के भड़काऊ बयान सरकार के विकास के अजेंडे को प्रभावित कर रहे हैं, लगभग दो-तिहाई लोगों (62%) ने इसका जवाब हां में दिया। हालांकि एक-चौथाई लोग इससे असहमत दिखे जबकि 12% किसी भी नतीजे पर पहुंचने में असमर्थ रहे।

यहां यह भी देखने को मिला कि भिन्न शहरों ने एक ही सवाल पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दीं। चेन्नै, दिल्ली और कोलकाता जहां मोदी सरकार से कम प्रभावित दिखे, वहीं अहमदाबाद और बेंगलुरु के लोग इसके अभी तक के कामकाज से काफी खुश थे। यह भी साफ है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की मौजूदगी ने लोगों को मोदी सरकार को कसौटी पर थोड़ा बेहतर तरीके से परखने का ऑप्शन दिया, जबकि बाकी शहरों में ऐसी कोई बात नहीं थी।

इस सर्वे में 18 से ऊपर की आयु के लगभग 1,200 लोगों ने भाग लिया। इस सर्वे में यह ध्यान रखा गया कि पुरुषों और स्त्रियों की संख्या बराबर हो, और ऐसा शहरों के चयन में भी किया गया। सर्वे में हिस्सा लेने वाले लोगों को आयु के अनुसार तीन भागों में बांटा गया- 18-29, 30-45 और 45 से अधिक। इस सर्वे में हिस्सा लेने वालों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को भी ध्यान में रखा गया। यह पूरा सर्वे 27 और 28 दिसंबर, 2014 को किया गया था एवं इस सर्वे के प्रायोजक थे टाइम्स आॅफ इंडिया। 
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