भोपाल। चलती ट्रेन में चोरी ओर युवती को फेंकने के मामले में अंतत: जीआरपी को आरोपियों को पेश करना ही पड़ा। आरोपियों की गिरफ्तारी के साथ ही यह खुलासा भी हो गया कि चलती ट्रेन में चोरियों की वारदातें बदमाश नहीं बल्कि रेल कर्मचारी ही किया करते थे। इस मामले में संदेह की सुई जीआरपी की तरफ भी घूम रही है। विशेषज्ञ यह मानने को तैयार नहीं है कि एक चोर गिरोह रेलों में लम्बे समय से सक्रिय हो और आरपीएफ व जीआरपी को इसकी भनक तक ना हो।
यह था मामला
मालवा एक्सप्रेस के एस-7 कोच में सो रही रति त्रिपाठी का बदमाश चंदन ने जैसे ही पर्स झपटा, उसकी नींद खुल गई। उसने बदमाशों के सामने हार नहीं मानी बल्कि उनका मुकाबला किया। उसके हौसले को देखकर बदमाश घबरा गए थे। इसके बाद उन्होंने रति को ट्रेन से धक्का दे दिया। इसके बाद आरोपी ट्रेन से कूदकर फरार हो गए। जीआरपी ने शुक्रवार को रति के सात गुनहगारों को गिरफ्तार करने का दावा किया है। पुलिस ने रेलवे के एक चाबी मैन समेत दो अन्य को भी आरोपी बनाया है, जो इन बदमाशों को शह देने का काम करते थे।
5000 रुपए तौला के भाव से बेचते थे चोरी का सोना
कटरा बाजार, ललितपुर निवासी सर्राफा व्यापारी रूपकिशोर सोनी चोरी की वारदातों में मिले सोने के जेवर पांच हजार रुपए तोला के हिसाब से खरीदता था। कटरा बाजार में प्रियंका ज्वेलर्स के नाम से दुकान चलाने वाले शालू जैन को भी पुलिस ने आरोपी बनाया है।
रेल स्टाफ पास होता था बदमाशों के पास
रति के सामने वाली सीट पर सवार दो युवकों ने टीटीई को अपना परिचय "स्टाफ' कहकर दिया था। इस सुराग के आधार पर जीआरपी ने खुरई में चाबी मैन के रूप में पदस्थ 58 वर्षीय जगत सिंह को पकड़ा। पुलिस ने पूछताछ की तो आरोपियों का खुलासा हो गया। इसके बाद पुलिस ने सभी छह मुख्य आरोपियों समेत सात लोगों को गिरफ्तार कर लिया। जगत ने ही उन्हें फर्जी पास उपलब्ध करवाए थे।
ट्रेन में साथ चलता था चोरों का स्टोर रूम
आरोपियों में शामिल गुलाब सिंह रेलवे का रिटायर्ड गैंग मैन है, जबकि चंदन को उसकी हरकतों के कारण गैंगमैन पद से बर्खास्त कर दिया गया है। 65 वर्षीय गुलाब एक बड़ा थैला लेकर वारदात में शामिल होता था। चोरी का सामान आरोपी गुलाब को देते थे, जिसे वह उसी थैले में रख लेता था।
आरोपियों ने पुलिस के सामने 14 अन्य चोरियों का भी खुलासा किया है। पुलिस ने उनके कब्जे से साढ़े तीन लाख रुपए का माल भी बरामद कर लिया है। पुलिस के मुताबिक आरोपियों के निशाने पर अकेले सफर कर रही महिलाएं ही रहती थीं।
इतनी देर क्यों लगाई पुलिस ने
इस मामले में संदेह की सुई जीआरपी की ओर भी जा रही है। यह कोई अचानक घटी घटना नहीं थी, बल्कि नियमित रूप से चोरियां करने वाला रेल कर्मचारियों का ही गिरोह था। ऐसी स्थिति में यह स्वीकार कतई नहीं किया जा सकता कि जीआरपी को इस गिरोह के बारे में पता नहीं था। सूत्रों का दावा है कि जीआरपी ने घटना के तत्काल बाद ही गिरोह के लोगों को पूछताछ के लिए बुला लिया था परंतु वह आरोपियों को बचाने का प्रयास करती रही। इंतजार करती रही कि किसी तरह मामला मीडिया की सुर्खियों से गायब हो जाए और इसे रफादफा किया जा सके, लेकिन जब प्रेशर बढ़ता गया तो अंतत: आरोपियों को गिरफ्तार करके मीडिया के सामने पेश करना ही पड़ा।