EXAM सर पर, DPI में अटकी 800 स्कूलों की मान्यताएं

भोपाल। मान्यता अपील के प्रकरण निराकृत करने के अधिकार न होने के कारण प्रदेश के 800 हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों को अब तक मान्यता नहीं मिली है। जबकि परीक्षा शुरू होने में महज 45 दिन शेष हैं। इसे देखते हुए मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल ने संबंधित स्कूलों के विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल कर लिया है। अब शासन ने लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक (प्रशासन) को यह अधिकार दिए हैं।

शासन ने इसी साल से लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) को हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों की मान्यता देने के अधिकार दिए हैं। डीपीआई ने मई-14 से मान्यता देना शुरू किया है, लेकिन अब तक सभी स्कूलों को मान्यता नहीं दी जा सकी है। दिक्कत अपील के प्रकरणों में आ रही है। दरअसल, मापदंड पूरा न करने पर संभागीय संयुक्त संचालकों ने मान्यता के प्रकरण निरस्त कर दिए थे। संबंधित स्कूल अपील में चले गए। अब यह प्रकरण पिछले चार माह से लंबित हैं। उल्लेखनीय है कि पहले मंडल मान्यता देता था।

अपील के प्रकरण निराकृत करने का अधिकार डीपीआई के आयुक्त को है। पूर्व आयुक्त एसके पॉल ने प्रकरणों की अधिकता को देखते हुए यह अधिकार संचालक (प्रशासन) की ओर हस्तांतरित कर दिए थे, लेकिन शासन के आदेश न होने के कारण संचालक मामले से दूर ही रहे। पिछले माह शासन ने इसमें संशोधित आदेश जारी कर अपील के प्रकरणों का निराकरण करने के लिए संचालक को अधिकृत कर दिया है। इसके बाद लंबित प्रकरणों की फाइलें एक बार फिर खुली हैं। सूत्र बताते हैं कि करीब डेढ़ हजार प्रकरणों में से अब भी 800 प्रकरण निराकरण के लिए बचे हैं।

एक और मौका मिलेगा
पहली अपील में आए स्कूल संचालकों को एक मौका और मिलेगा। यदि वे डीपीआई के संचालक के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं, तो वे विभागीय मंत्री की अध्यक्षता में गठित अपील समिति को अपील कर सकते हैं, लेकिन दूसरी अपील प्रकरण निराकरण के महज 15 दिन के अंदर करनी होगी। इस समिति में मंत्री के अलावा विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव या सचिव एवं मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव रहते हैं।

.....

सौ, सवा सौ प्रकरण ही रह गए हैं। जल्द ही उनका भी निराकरण कर दिया जाएगा। इससे बच्चों की परीक्षा पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है।
राजेश जैन
संचालक (प्रशासन) लोक शिक्षण

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!