यह समझ में नहीं आ रहा है कि अमेरिका को किस भाषा में समझाए कि पकिस्तान भारत के विरुद्ध आतंकवादी गतिविधियाँ चला रहा है | या तो अमेरिका सब कुछ जानते हुए इस बात को नकार रहा है या उसकी मंशा कुछ ठीक नहीं है |
बात छोटी सी है, भारत का हर नागरिक {चंद राजनीतिज्ञों को छोड़कर } समझ रहा है और बहुमत से चुने गये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में इतना साहस होना चाहिए कि 26 जनवरी को वे बराक ओबामा को यह समझा सके कि “पाकिस्तान आतंकवाद का पोषक है और उसे सहायता देना भारत सहित अन्रेक देशों में आतंकवाद को बढ़ावा देना है |
गौर तलब है कि भारत की यात्रा पर आने से ठीक पहले अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने पाकिस्तान सरकार को अल कायदा, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने का सर्टिफिकेट दिया है। अमेरिका के इस कदम पर भारत में तीखी प्रतिक्रिया हो सकती है।जॉन केरी के सर्टिफिकेट से पाकिस्तान केरी-लुगार बिल के तहत अमेरिका से सहायता पैकज पाने के पात्र हो गया है। इस बिल में आतंक के खिलाफ कार्रवाई एक महत्वपूर्ण शर्त है, जिसे पूरा करने के बाद ही पाकिस्तान अमेरिका से आर्थिक सहायता पाने के योग्य बन सकता है।अमेरिकी कांग्रेस से 2010 में पारित केरी-लुगार बिल के तहत पाकिस्तान को 2010-14 के दौरान 1.5 अरब डॉलर प्रति वर्ष असैन्य अमेरिकी सहायता मिल सकती है। जॉन केरी के सर्टिफिकेट के साथ ही उम्मीद की जा रही है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा जल्द ही पाकिस्तान को आर्थिक सहायता जारी कर देंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के मुख्य अतिथि के तौर पर 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन भारत दौरे पर आ रहे हैं |उनके दौरे के पहले वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए केरी आएंगे। इसके बाद केरी के अमेरिका-पाक रणनीतिक वार्ता के लिए पाकिस्तान जाने की उम्मीद है।
इसके विपरीत पकिस्तान क्या कर रहा है ? लगातार सीमा पर गोलीबारी 31 दिसम्बर को जलमार्ग के द्वारा भारत में घुसपैठ का असफल प्रयास | बचाव में बचकाने तर्क कि नाव के जाने का कोई इन्द्राज नहीं है | सब समझते है, कहता कोई नहीं | नरेंद मोदी से साहस अपेक्षित है |
लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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rakeshdubeyrsa@gmail.com
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