भोपाल। मप्र में मेडिकल कॉलेज के लिए 25 एकड़ जमीन मात्र 1 रुपए में मिल रही है फिर भी कोई संस्था गांव में मेडिकल कॉलेज खोलने को तैयार नहीं। वो करोड़ों की पूंजी इंवेस्ट करने को तैयार हैं परंतु कॉलेज शहर में ही खोलेंगे। अब सरकार अपनी पॉलिसी में बदलाव का विचार बना रही है।
प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाने के लिए हेल्थ सेक्टर इन्वेस्टमेंट पॉलिसी के तहत नगर निगम सीमा क्षेत्र के बाहर निजी मेडिकल कॉलजों को शासन की से जमीन दी जाती है। 1 रुपए में 25 एकड़ जमीन देने का नियम है। इसके लिए सबसे बड़ी शर्त यह है कि निवेशक को 5 साल में 300 करोड़ रुपए का निवेश करना होगा। 2012 में यह नीति तैयार होने के बाद निजी मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए आवेदन मंगाए गए। 2012-13 में 33 और 2013-14 में 43 निजी मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए आवेदन आए, लेकिन ज्यादातर ने अपनी जमीन पर कॉलेज खोलने का प्रस्ताव दिया है, वह भी नगर निगम क्षेत्र के भीतर। राजधानी में एक मेडिकल कॉलेज खुल चुका है, जबकि दो ने मान्यता के लिए एमसीआई को आवेदन किया है।
इसके तहत जिन निवेशकों के पास पैसा है, वे शहर के बाहर मुफ्त जमीन पर कॉलेज खोलने में इंट्रस्टेड नहीं हैं। उल्टे वो अपनी करोड़ों की जमीन पर कॉलेज खोलना चाहते हैं। इस क्षेत्र के जानकारों का मानना है कि शहर में कॉलेज खोलने से उन्हें अस्पताल चलाना आसान होगा। मरीजों की संख्या भी ज्यादा रहने के आसार होते हैें।
इसलिए हो रहा बदलाव
मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए अभी तक जितने प्रस्ताव आए हैं, उनसे साफ हो गया है कि निवेशक शहर में कॉलेज खोलने के ज्यादा इच्छुक हैं।
नगर निगम सीमा से लगी जमीन काफी महंगी है। लिहाजा उन्हें नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत के आस-पास ग्रामीण क्षेत्र की जमीन दी जाएगी।
एक जगह कॉलेज होने से अस्पताल की ओपीडी और भर्ती मरीजों की संख्या कम हो जाएगी। इस वजह से मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के मापदंड पूरा करने में मुश्किल आएगी।
इससे ग्रामीण क्षेत्रों को विकास होगा। वहां के लोगों को पास में इलाज मिल जाएगा।
नगर निगम क्षेत्र से जुड़ी जमीन का इस्तेमाल नए संस्थान खोलने के लिए किया जा सकेगा।
पार्किंग की समस्या भी नहीं आएगी।
मेडिकल कॉलेज खोलने के संबंध में मौजूदा पॉलिसी में कुछ बदलाव करने का प्रस्ताव है। इस संबंध में जल्द ही मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक होगी।
प्रवीर कृष्ण
प्रभारी प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा