डॉक्टरों का शिकार: भीख मांगकर कराया इलाज

मनीष झा/मुंबई। देशभर के डॉक्टर जानते हैं कि उनकी लापरवाही का शिकार हुआ मरीज कानूनन उनका कभी कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा, लेकिन डॉक्टर भूल जाते हैं कि बद्दुआएं वो रोक नहीं पाएंगे, कम से कम भगवान को तो उल्लू नहीं बनाएंगे और जब बद्दुआएं लगेंगी तो उसके परिणाम कितने भयंकर होंगे, शायद फिलहाल वो समझ नहीं पा रहे।

बिहार निवासी श्रवण साहनी (22) का हाथ दो महीने पहले सड़क दुर्घटना में जख्मी हो गया था। लोगों ने इलाज के लिए वहीं पर एक हॉस्पिटल में भर्ती कराया, मगर डॉक्टरों द्वारा किए गए ऑपरेशन में उसके हाथ की अंगुलियां ही एक-दूसरे से चिपकने के बाद मुड़ गई। यहां तक कि हाथ में लगाई गई लोहे की रॉड भी अंगुलियों को चीर कर बाहर आ गई थी। डॉक्टरों ने अपनी लापरवाही स्वीकार नहीं की बल्कि इलाज के लिए और पैसों की मांग की।

मगर, आर्थिक रूप से कमजोर श्रवण ने इलाज के लिए पैसा नहीं होने के इलाज बंद करवा दिया और किसी तरह बिहार से मुंबई आ गया। यहां आकर उसने मुड़े हाथ का इलाज करवाने के लिए लोगों से पैसा मांगना शुरू कर दिया। बकौल श्रवण,'ऑपरेशन के लिए पैसा चाहिए था, लेकिन मुड़े हाथ होने की वजह से उसे नौकरी नहीं मिल रही थी। मजबूर होकर उसने ट्रेनों और गली-मुहल्लों में भीख मांगना शुरू कर दिया, जिससे उसने 2,500 रुपये जमा कर लिए। मगर, महंगा इलाज होने की वजह से उसकी हिम्मत टूट गई।

भीख मांगने के दौरान किसी ने उसको दहिसर स्थित मानव कल्याण केंद्र का पता दिया, जहां हॉस्पिटल प्रबंधन की मदद से सोमवार को उसके अंगुलियों का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया। इस ऑपरेशन को डॉ. अजय शेन्वी और डॉ. नीलम नाल्गे की टीम ने अंजाम दिया है।

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