अब देश की गली गली में खुलेंगे पेमेंट बैंक

नई दिल्ली। समाज के हर तबके विशेषकर गरीब और वंचित तबकों तक बैंकिंग सुविधाओं को पहुंचाने की दिशा में मोदी सरकार प्रयासरत है। इसी प्रयास के तहत जहां सरकार ने देश में जन-धन स्कीम लॉन्च की, अब मोबाइल दुकानों, पेट्रोल पंपों और गली-मुहल्ले के कोनों पर स्थित दुकानों की मदद से लोगों के दरवाजे तक बैंकिंग सुविधा पहुंचा रही है।

बैंकिंग के इस नए सिस्टम का नाम पेमेंट बैंकिंग है जहां पारंपरिक वित्तीय संस्थानों से हटकर मोबइल दुकानों, ईंधन केंद्रों और कॉर्नर स्टोर्स को बैंकिंग सेवा प्रदान करने के लिए परमिट दिया जाएगा।

पेमेंट बैंक की स्थापना के लिए आवेदन जमा करने की अंतिम तारीख 2 फरवरी है।  जिन नई संस्थाओं को परमिट मिलेगा वे भुगतान और जमा की सेवाएं प्रदान कर सकेंगी लेकिन लोन नहीं दे सकेंगी, इसीलिए इन संस्थानों का नाम पेमेंट बैंकिंग रखा गया है।

आरबीआई की पहल से यह पता चलता है कि पारंपरिक बैंक अकेले ही पीएम नरेंद्र मोदी के वित्तीय समावेश के उद्देश्य को पूरा नहीं कर सकते हैं। सबको विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पीएम मोदी की पहल पर 11 करोड़ नए बैंक खाते खोले गए हैं। लेकिन, चिंता का विषय यह है कि इन 11 करोड़ खातों में से 8 करोड़ खातों में पैसा नहीं है।

पेमेंट बैंक के समर्थकों का कहना है कि इस से भारत के 6,00,000 गांवों को बैंकिंग सुविधाओं से जोड़ा जा सकता है जहां इस तरह की सुविधाएं नहीं हैं। पेमेंट बैंक के जरिये घर पर पैसा भेजना, सरकार की ओर से मिलने वाले आर्थिक लाभ की प्राप्ति या बिजनस करने में आसानी हो जाएगी।

पेमेंट बैंक के लिए नियम तैयार करने वाली आरबीआई की कमिटी के एक सदस्य बिंदु अनंत ने बताया, 'इस सेवा के लिए पारंपरिक बैंकों से बिल्कुल अलग नई संस्थाओं को बैंकिंग सुविधा प्रदान करने की जिम्मेदारी दी गई है।'

सबसे महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि पेमेंट बैंक न सिर्फ नकदी जमा स्वीकार करेंगे बल्कि वे भुगतान भी करेंगे।

लोगों को बैंकिंग सेवा प्रदान करने के लिए सरकार ने इससे पहले भी एक सिस्टम शुरू किया था जिसे प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रुमेंट सिस्टम का नाम दिया गया था। इस सिस्टम में सबसे बड़ी कमी यह थी कि इसमें सिर्फ जमा लिया जा सकता था। इसमें जमाकर्ता को भुगतान की कोई व्यवस्था नहीं थी जिस कमी को नए बैंकिंग सिस्टम में पूरा कर दिया गया है।

पेमेंट बैंकों का यह फायदा होगा कि इससे भारतीय इकॉनमी में नकदी के इस्तेमाल पर रोक लग सकेगी। भारत में अब भी 10 लेनदेन में से 9 में नकदी लेनदेन ही होता है। इस बैंकिंग सिस्टम में मोबाइल ऑपरेटर और प्री-पेड वैलट सेवा प्रदाता अहम भूमिका निभाएंगे। इसमें रिटेलर्स भी दिलचस्पी ले रहे हैं। भारत के 100 से अधिक शहरों में मौजूद फ्यूचर ग्रुप जैसी बड़ी रिटेल कंपनी ने कहा है कि यह परमिट के लिए आवेदन करेगी रिटेलर्स के अलावा ऑनलाइन कंपनियां भी इसमें भाग आजमाने के लिए उत्सुक हैं। टेलिकॉम सेवा प्रदान करने वाली कंपनियां जैसे एयरटेल, वोडाफोन व अन्य भी इस मामले में पीछे नहीं रहना चाहते हैं।

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