भोपाल। वो काटा... वो मारा... काई पो चे... का शोर, आसमान पर छाईं सतरंगी पतंगें, ढील और खींच में लड़ते पेंच, मस्ती के माहौल में रंग भरती म्यूजिक की बीट्स और सूप की चुस्कियां। कुछ ऐसा ही नजारा था, बुधवार को मकर संक्रांति के अवसर पर नवदुनिया द्वारा आयोजित काइट कॉम्पीटिशन 'सबसे बड़ा पतंगबाज' के आयोजन का।
'साज री ढ़ाणी' रिसोर्ट में आयोजित काइट फेस्टिवल में नायिका क्लब की महिलाओं के साथ सुभाष एक्सिलेंस स्कूल के स्टूडेंट्स ने पतंगों के इस त्यौहार को सेलिब्रेट किया। ठंडी हवाओं और गुनगुनी धूप के साथ तिल के लड्डू और गाजर का हलवे ने भी स्टूडेंट्स को खूब लुभाया।
किसी ने डोर बांधी, किसी ने चरखी संभाली
अब पतंगबाजी करना बच्चों को रोज का खेल नहीं रह गया। स्कूलों में पढ़ रहे बच्चे अब पतंग उड़ाने से बेहतर कैंडीक्रश खेलना जानते हैं। लेकिन, नवदुनिया के फेस्टिवल में बुधवार को जब बच्चों के हाथों में पतंगें थमाई गईं, तो रंग-बिरंगों पतंगों की तरह बच्चों में भी उत्साह और स्फूर्ति लौट आई। नायिका क्लब की महिलाओं के साथ मिलकर कुछ ने पतंग में सही ढंग से डोर बांधी और मांझा फिट किया, किसी ने चरखी संभाली और कुछ ने हवा में पतंगों को ऊंचा उड़ाने और इसे संभाले रखने का प्रयास किया। पतंगबाजी कॉम्पीटिशन महिलाओं ने अपने बचपन के मौज-मस्ती के दिन दोबारा तरोजाता किए और एक-दूसरे की पतंगें काटने के लिए खूब तिकड़म भिड़ाई।
चखे लजीज राजस्थानी व्यंजन
मस्ती और इंटरटेनमेंट के फुल डोज के साथ स्टूडेंट्स ने भी ढोल-ढमाकों के बीच जमकर डांस किया। कुछ ने स्पेशल मैजिक शो का लुत्फ उठाया, तो कुछ ने अपना पूरा फोसक सिर्फ राजस्थानी व्यंजनों पर रखा। राजस्थानी दाल-बाटी-चूरमा के साथ गुलाब जामुन और तरह-तरह की सब्जियों को सभी ने खाया और पसंद आने वाने दूसरों को खाने का सुझाव भी दिया।
हुए संस्कृति से परिचित
ढेर सारी मौज-मस्ती के बीच स्टूडेंट्स ने एक ओर पतंगबाजी में अपने हुनर को आजमाया तो, वहीं नायिका मेम्बर्स ने भी पहली बार डरते-डरते पतंग की डोर संभाली और खूबसूरत पतंग को नीचे न गिरने देने का साहस दिखाया। स्टूडेंट्स ने राजस्थान का फेमस लोक नृत्य कालबेलिया की शानदार प्रस्तुति का लुत्फ भी उठाया।
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ये बने पतंगबाज
फर्स्ट- प्रणव
सैकंड- मिथलेश
थर्ड- ऋषि
कोंसलेशन प्राइज- मनीष
खूब किया एन्जॉय
मुझे 18 साल के करियर में पहली बार ऐसा अवसर मिला, सभी बच्चों ने काफी एन्जॉय किया है, सभी यहां आकर काफी खुश हैं।
अपर्णा नारौलिया
स्कूल कोऑर्डिनेटर, एक्सीलेंस स्कूल
जाना राजस्थानी कल्चर
पतंगबाजी बच्चों का सबसे पसंदीदा खेल होता है। यही वजह है कि बच्चों में बहुत उत्साह दिख रहा है। यहां बच्चों को राजस्थान का कल्चर देखने को मिला।
अभिषेक श्रीवास्तव
एमडी, साज री ढ़ाणी
सच बहुत मजा आया
फेस्टिवल का हिस्सा बनकर काफी खुश हूं। मुझे बहुत दिन से इंतजार था कि इस तरह का कोई त्यौहार हो और मैं मस्ती कर सकूं।
साक्षी तोमर, स्टूडेंट
जमकर लड़ाए पेंच
पहली बार संक्रांति इतनी मजेदार रही। यह सेलिब्रेशन पूरी जिंदगी याद रहेगा। स्कूल फ्रेंड्स के साथ पहली बार पतंग उड़ाने का मौका मिला।
सागर मंडल, स्टूडेंट
जमकर उठाया लुत्फ
काइट कॉम्पीटिशन में हिस्सा लेकर काफी मजा आया। एक जगह पर इतनी सारी पतंगे आसमान में लहरा रही हैं। यह देखना बहुत सुखद है। सभी ने जमकर लुत्फ उठाया।
श्वेता शर्मा, स्टूडेंट