उपदेश अवस्थी/ भोपाल। सिंधिया राजघराने के युवा महाराज, मध्यप्रदेश के डायनामिक पोलिटिकल लीडर, शिवराज के बाद मध्यप्रदेश की जनता के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय, राहुल गांधी की टीम के प्रमुख सदस्य एवं गुना सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा ज्वाइन करने वाले हैं। भाजपा की नेशनल टीम के कुछ सदस्य उनके संपर्क मैं है।

पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कांग्रेस मुक्त भारत अभियान का दूसरा चरण तेजी से शुरू कर दिया है। अब हर राज्य में अपनी ताकत बढ़ाने में जुटी मोदी-शाह की जोड़ी ने कांग्रेस के असंतुष्ट लेकिन बड़े क्षत्रपों और उनके पुराने कार्यकर्ताओं को जोडऩे का आक्रामक अभियान शुरू कर दिया है।
इसी क्रम में भाजपाई दिग्गज पंजाब के पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह एवं ग्वालियर के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया के संपर्क में हैं। सिंधिया, भाजपा के लिए बड़ी सफलता एवं कांग्रेस के लिए बड़ा झटका साबित हो सकते हैं। इसका इम्पैक्ट पूरे देश में देखने को मिलेगा और माना जा रहा है कि इसके बाद कांग्रेस के दूसरे प्रमुख नेताओं को कंवेंस करना आसान हो जाएगा।
वैसे भी सिंधिया राजपरिवार का भाजपा से पुराना नाता है। ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादीमॉँ राजमाता विजयाराजे सिंधिया जनसंघ की संस्थापक सदस्य रहीं हैं। भाजपा में आज भी उनका बड़ा सम्मान है। सिंधिया राजवंश की राजनीति में शुरूआत भी जनसंघ से ही हुई थी, ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया ने भी अपने जीवन का पहला चुनाव जनसंघ से ही लड़ा था। यदि इमरजेंसी की मजबूरियां ना होतीं, इंदिरा गांधी का दवाब और राजीव गांधी का स्नेह ना होता तो माधवराव सिंधिया शायद कभी कांग्रेस ज्वाइन ना करते।
इधर ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भी कांग्रेस में कम नाइंसाफिया नहीं हुईं हैं। इस छोटे से राजनैतिक जीवन में तमाम मशक्कत करने के बाद भी सिंधिया को कांग्रेस में वो मुकाम कभी नहीं मिला जिसके वो योग्य समझे जाते हैं। आज भी खुलेआम कहा जाता है कि यदि विधानसभा चुनावों में सिंधिया को फ्रीहेंड मिल गया होता तो मध्यप्रदेश विधानसभा की शक्ल वैसी कतई ना होती जैसी की दिखाई दे रही है। कांग्रेस की क्षेत्रीय अंतर्कलह को हाईकमान ने हमेशा हवा दी और सिंधिया को एक कुनबे तक सिमटे रहने पर बाध्य किया गया।
निश्चित रूप से यह ज्योतिरादित्य सिंधिया का सबसे बड़ा दर्द कहा जाना चाहिए, जो परफामेंस वो दिखा सकते थे, जिसके वो बहुत करीब पहुंच गए थे, वहां से उन्हें वापस लौटना पड़ा। हाईकमान ने मध्यप्रदेश में अच्छे प्रदर्शन की बजाए गुटबाजी को तरजीह दी।
इसके अलावा भी कई दर्द हैं जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के दिल में रह रहकर उठते हैं और भाजपा के नेशनल टीम इसका पूरा लाभ उठाने जा रही है।