मप्र में अनाज खरीदी घोटाला: हाईलेवल जांच की मांग

भोपाल। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद एवं सावर्जनिक वितरण मामलों के मंत्री रामविलास पासवान के एक बयान ने शिवराज सरकार की समस्याएं बढ़ा दीं हैं। पिछले रोज उन्होंने मीडिया से हुई मुलाकात में कह दिया था कि किसानों को दिए जाने वाला बोनस इसलिए बंद कर दिया गया क्योंकि इससे किसानों को फायदा नहीं होता था बल्कि यूपी के बिचौलिए 1000 रुपए प्रति क्विंटल अनाज खरीदकर मप्र में 1600 रुपए के भाव से बेच दिया करते थे।

पासवान के इस बयान के बाद मप्र में कांग्रेस को शिवराज सरकार पर हमला करने का मौका मिल गया। कांग्रेस के प्रवक्ता रवि सक्सेना ने इसे व्यापमं से भी बड़ा घोटाला करार देते हुए इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग की है जबकि अशोक वर्णवाल, प्रमुख सचिव, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग का कहना है कि मप्र में गेहूं खरीद में कोई ग़़डब़़ड नहीं है। केंद्रीय मंत्री का आशय बिहार-यूपी से था। उदाहरण के तौर पर उन्होंने मप्र का नाम ले लिया। दरअसल बिहार-यूपी में ऐसा होता है। उन्होंने समझाने के लिहाज से ऐसा कहा था।

कुल मिलाकर विरोधियों को सरकार पर हमला करने का एक और मौका मिल गया है। बात का बतंगड़ भी बनाया जा सकता है और संभव है कि एक बड़ा घोटाला निकल भी आए। फिलहाल तो चिंगारी मिल गई है, हवा दी जा रही है। आगे आगे देखते हैं होता है क्या।

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