मुकदमे के कारण कर्मचारी की पेंशन या ग्रेच्युटी नहीं रोक सकते

इलाहाबाद। हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी कर्मचारी का सेवानिवृत्ति लाभ इस आधार पर नहीं रोका जा सकता है कि उसके खिलाफ आपराधिक मुकदमा लंबित है। सरकार के पास ऐसा कोई कानून या शासनादेश नहीं है, जिससे कर्मचारी की ग्रेच्युटी को रोकने के लिए मुकदमे को आधार बनाया जा सके। यदि कर्मचारी कि खिलाफ विभागीय कार्यवाही लंबित नहीं है तो उसका पेंशन या ग्रेच्युटी रोकना अनुचित है।

शाहजहांपुर के रिटायर दरोगा शिव सेवक प्रसाद मिश्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने सुनाया। एसपी शाहजहांपुर ने शिवसेवक प्रसाद के रिटायरमेंट के बाद उनका सेवानिवृत्त परिलाभ ग्रेच्युटी और पेंशन आदि यह कहते हुए रोक दी कि उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा लंबित है। आपराधिक मुकदमा दर्ज होने की स्थिति में सेवानिवृत्ति लाभ दिए जाने को लेकर हाईकोर्ट की दो अलग-अलग खंडपीठों के निर्णय भी हैं। इन निर्णयों पर विचार करने के बाद कोर्ट ने कहा कि आपराधिक मुकदमा दर्ज होने की स्थिति में ग्रेच्युटी और पेंशन आदि लाभ नहीं रोके जा सकते हैं।

याची के अधिवक्ता विजय गौतम की दलील थी कि कर्मचारी का सेवानिवृत्ति लाभ उन्हीं आपराधिक मामलों में रोका जा सकता है जिनमें गबन का आरोप हो या किसी अन्य प्रकार से सरकारी धन को कर्मचारी द्वारा क्षति पहुंचाई गई है। इस स्थिति में सरकार को हुए नुकसान की भरपाई कर्मचारी की ग्रेच्युटी की रकम से की जा सकती है। मगर जहां आपराधिक मुकदमा धन से संबंधित नहीं है वहां सेवानिवृत्ति लाभ रोकना अनुचित है। कोर्ट ने एसपी शाहजहांपुर के आदेश को रद करते हुए याची को सेवानिवृत्ति परिलाभों के भुगतान का निर्देश दिया है।
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