राकेश दुबे@प्रतिदिन। हिंदी में बहुत सी कहावतें हैं| जो मोदी सरकार के योजना आयोग कि समाप्ति के निर्णय बाद से चर्चा में थीं| अब उसमे कुछ और जुड़ गई हैं| दो ज्यादा चर्चा में हैं–
एक- पुरानी बोतल और नई शराब
दो- बड़ा शोर सुनते थे हाथी कि दुम का|
प्रतिपक्ष कुछ और भी कह रहा है| आज लिए गये निर्णय उसमे हुई देरदार कुछ और ही कहती है|
सरकार ने योजना आयोग के नए स्वरूप का नाम बदलकर ‘नीति आयोग’ कर दिया गया है। गौरतलब है कि इस संस्था की स्थापना 1950 के दशक में हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा योजना आयोग की जगह नयी संस्था की स्थापना की घोषणा के बाद यह पहल हुई है।
मोदी की मुख्यमंत्रियों के साथ हुई बैठक के करीब तीन सप्ताह के बाद यह फैसला आया जिसमें ज्यादातर समाजवादी दौर की इस संस्था के पुनर्गठन के पक्ष में थे, लेकिन कुछ कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों ने मौजूदा ढांचे को खत्म करने का विरोध किया था।
मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में घोषणा की थी कि योजना आयोग की जगह पर एक नयी संस्था बनाई जाएगी जो समकालीन आर्थिक दुनिया के अनुरूप हो।
मुख्मंत्रियों को सात दिसंबर को संबोधित करते हुए उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का हवाला दिया था, जिन्होंने पिछले साल 30 अप्रैल को कहा था कि सुधार प्रक्रिया शुरू होने के बाद के दौर में मौजूदा ढांचे का कोई अत्याधुनिक नजरिया नहीं है।
उन्होंने ऐसे प्रभावी ढांचे की बात की थी जिससे ‘सहयोगी संघ’ और ‘टीम इंडिया’ की अवधारणा मजबूत होती हो। ऐसे संकेत थे कि नए ढांचे में प्रधानमंत्री, कुछ कैबिनेट मंत्री, मुख्यमंत्री और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होंगे।
यह सब इस बात के ज्यादा नजदीक है| बोतल वही, शराब वही - बस ब्रांड बदल गया|
लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क 9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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