उज्जैन। इंजीनियर प्रथा मोदी शनिवार से साध्वी कहलाएंगी। आचार्य मुक्तिसागरजी भव्य समारोह में उन्हें दीक्षा देकर नए जीवन में प्रवेश कराएंगे। साथ ही नया नाम भी देंगे। दीक्षा महोत्सव को लेकर समाजजनों में उल्लास है। शहर सहित देशभर के समाजजन यहां आए हैं। शुक्रवार को प्रथा का वर्षीदान का वरघोड़ा निकला, जिसमें उन्होंने हाथी पर सवार होकर प्रतीक स्वरूप सांसारिक वस्तुओं का त्याग किया।
श्री ऋषभदेव छगनीराम पेढ़ी खाराकुआं से निकले वरघोड़े में चांदी के रथ में प्रभु विराजमान थे। उल्लासित पुरुष सिर पर पगड़ी, कलश लेकर चल रहीं महिलाएं रंग-बिरंगे परिधानों में तथा युवतियां गुलाबी साफा पहनकर निकलीं। साध्वी जीवन के प्रारंभ में पहनने वाले परिधान एक थाल में रखे थे, जिन्हें समाजजन श्रद्धा से सिर पर लेकर चले। मार्ग में आकर्षक रंगोली सजाई गई थी।
वरघोड़ा छोटा सराफा, कंठाल, दौलतगंज, सखीपुरा, तोपखाना होकर पुन: खाराकुआं पहुंचा। यहां धर्मसभा में अन्य तीन दीक्षार्थी का बहुमान किया। प्रथा के पिता धीरज कुमार, माता आशा एवं भाई जयेश की समाजजनों ने अनुमोदना की।
वर्षीदान से वंचित रह गए समाजजनों के लिए प्रथा ने मंच पर बैठकर वर्षीदान किया। आचार्यश्री के साथ मुनिश्री ऋ षभचंदसागरजी, साध्वी दमिताश्रीजी, हेमेंद्रश्रीजी, मुक्तिप्रियाश्रीजी, मृदुप्रियाश्रीजी, हर्ष प्रियाश्रीजी आदि वरघोड़े में शामिल हुए। अगवानी स्कूल शिक्षा मंत्री पारस जैन ने की। विधायक मोहन यादव व रमेश मेंदोला भी शामिल हुए। वरघोड़े की व्यवस्था अभा श्वेतांबर जैन मूर्तिपूजक युवक महासंघ ने की।
विदाई समारोह में भावविभोर हुए लोग
दीक्षास्थल सूरजनगर पर शुक्रवार शाम दीक्षार्थी प्रथा का मंगल विदाई समारोह रखा गया। जिसमें उनके बाल्यकाल से लेकर युवावस्था तक का जीवंत मंचन किया गया। प्रतापगढ़ से आए दीपक करनपुरिया एंड पार्टी ने सांस्कृतिक प्रस्तुति दी। प्रथा ने सांसारिक जीवन से बिदाई के पूर्व भाई व पिता सहित अन्य को राखी बांधी। यह दृश्य देख पंडाल में मौजूद हर व्यक्ति की आंखें भर आईं।
