मध्यप्रदेश में हर साल डाकघरों के अल्प बचत के खातों में चार से पांच हजार करोड़ रुपए जमा होते हैं, लेकिन पिछले छह माह से प्रदेश के किसी भी डाकघर में अल्प बचत खाता नहीं खुला है। दरअसल, अल्प बचत पासबुक नहीं होने के कारण डाकघरों में खाते नहीं खुल पा रहे हैं और मजबूरी में लोग अपनी बचत राशि प्राइवेट बैंक या अन्य योजनाओं में इनवेस्ट कर रहे हैं।
प्रदेश के 30 हजार से अधिक अल्प बचत एजेंट भी छह माह से बेरोजगार बैठे हुए हैं। प्रदेश के डाकघरों ने दो लाख पासबुक की मांग की है। पता चला है कि छत्तीसगढ़, राजस्थान, हरियाणा सहित अन्य राज्यों में भी इसी कारण नए अल्प बचत खाते नहीं खोले जा रहे हैं। संस्थागत एवं वित्त विभाग के अधिकारी गत छह महीने से नेशनल सेविंग आॅर्गनाइजेशन को कार्ड उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिख रहे हैं। दो लाख कार्ड के लिए पांच बार रिमांइडर भेजे जा चुके हैं, लेकिन अभी तक कार्ड उपलब्ध नहीं हो पाए हैं।