डॉक्टरों को मिला प्रतिदिन 55 मरीज का टारगेट

भोपाल। स्वास्थ विभाग के नए फरमान ने सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों की नींद उड़ा दी है। वह इन दिनों 55 के फेर में फंस गए है। दरअसल विभाग ने 55 मरीज प्रतिदिन देखने का टारगेट दिया है। डॉक्टरों का तर्क है कि मरीजों की संख्या पर लक्ष्य निर्भर करता है। रोजाना इस लक्ष्य की पूर्ती नहीं हो सकती है। इस फरमान ने डॉक्टरों की चिंता कम करने के बजाय बढ़ा दी है।

स्वास्थ विभाग के तमाम प्रयासों के बावजूद डॉक्टर नहीं मिल पा रहे हैं। वहीं अब पुराने डॉक्टरों से भी काम कराना आसान नहीं रहा है। पिछले दिनों सरकारी डॉक्टरों को शासन ने मरीजों को देखने व इलाज करने का टारगेट थमा दिया है। इसे हाईकोर्ट में चुनौती भी दी गई थी लेकिन डॉक्टरों की यह याचिका खारिज कर दी गई थी। लिहाजा नए सिरे डॉक्टरों को टारगेट दिया गया है।

डॉक्टरों को 55 मरीज प्रतिदिन देखने होंगे। इस नए फरमान से डॉक्टरों और ​सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की हालत लगभग एक जैसी हो गई है। अस्पतालों में डॉक्टरों के पूरी डियूटी नहीं देने की शिकायतें मिलना आम हैं। वहीं स्वास्थ विभाग ने यह आदेश और जारी कर दिया है। इसके मुताबिक जिला अस्पतालों की ओपीडी में काम करने वाले डॉक्टरों को रोजाना 25 से 30 मरीज देखने के लिए कहा गया है। वहीं सर्जन को भी दो मेजर व दो माइनर आॅपरेशन करने होंगे।

यहां तक की सोनोलॉजिस्ट को भी 20 मरीजों की सोनोग्राफी करनी होगी। डॉक्टरों ने इसे आदेश को कॉरपोरेट चलन बताया है। काटजू अस्पताल के डॉक्टर योगेन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि मरीजों की संख्या पर इस तरह का लक्ष्य निर्भर करता है। रोजाना इस लक्ष्य की पूर्ती होना मुश्किल है। मप्र चिकित्सा अधिकारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष डॉ.अजय खरे ने बताया कि यह आदेश औचित्यहीन है। जितने मरीज अस्पताल आएंगे उतने ही देखे जा सकते हैं। यदि मरीज कम आएंगे तो इस लक्ष्य की पूर्ति कैसे संभव है। इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की है।

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