भोपाल। मप्र के जनसंपर्क संचालनालय पर मप्र शासन के सामाजिक न्याय विभाग द्वारा संचालित महत्वपूर्ण नशामुक्ति मुहिम के प्रचार-प्रसार हेतु लगाये जाने वाले फ्लेक्सी होर्डिंग्स बोर्ड के नाम पर 50 लाख रूपये के घोटाले का प्रामाणिक आरोप लगाया है।
सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा 01 सितम्बर 2014, को आयुक्त, जनसंपर्क को लिखे गये पत्र में इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि जनसंपर्क संचालनालय द्वारा इस विषयक अधिकृत कार्य एजेंसी को बिना कार्य पुष्टि के भुगतान कैसे कर दिया गया है?
सामाजिक न्याय विभाग द्वारा नशामुक्ति मुहिम के प्रचार-प्रसार हेतु प्रदेश के जिला मुख्यालयों में कुल 55 स्थानों पर फ्लेक्सी होर्डिंग्स बोर्ड (स्थायी) लगाने हेतु 30X15 स्पेशीफिकेशन के अनुसार 71000 रूपये प्रति होर्डिंग की दर से स्वीकृति प्रदान की गई थी। इस बावत पत्र क्र. 307, दिनांक 31 मई 2011 के पत्र के माध्यम से 38,98,500 रूपये जनसंपर्क विभाग को अग्रिम भुगतान भी किया गया था, किंतु होर्डिंग्स नहीं लगाये गये।
इस संदर्भ में स्पष्टतः नियम है कि बगैर सत्यापन देयकों का भुगतान नहीं किया जाए, किंतु जनसंपर्क संचालनालय ने नियत कार्य एजेंसी को बिना सत्यापन/पुष्टि किये बगैर न केवल भुगतान कर दिया, बल्कि प्रमुख सचिव, सामाजिक न्याय विभाग के इससे संबंधित पत्रों पर किसी भी प्रकार का जवाब भी नहीं दिया। गत् 1 सितम्बर 2014 को प्रमुख सचिव, सामाजिक न्याय विभाग ने प्रमुख सचिव एवं आयुक्त जनसंपर्क एस.के. मिश्रा को लिखे पत्र में ही इस बड़े घोटाले की बिंदुवार स्थिति को स्पष्ट कर दिया है।
तत्कालीन सचिव एवं आयुक्त जनसंपर्क राकेश श्रीवास्तव ने इस विषय में श्रीमती अरूणा शर्मा, अपर मुख्य सचिव एवं विकास आयुक्त, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, भोपाल को 26 मार्च 2014 को लिखे अर्धशासकीय पत्र में जो जानकारी दी है वह और भी अधिक चौंकाने वाली है। इस जानकारी में मध्यप्रदेश जनसंपर्क विभाग की एजेंसी एमएस एंड एसोसिएट्स द्वारा सामाजिक न्याय विभाग के लिए 55 स्थानों पर होर्डिंग्स बोर्ड लगाने से संबंधित प्रमाणीकरण रिपोर्ट प्रस्तुत की है, वह पूरी तरह फर्जी है। सचिव व आयुक्त जनसंपर्क के अद्धशासकीय पत्र में अपर मुख्य सचिव को प्रस्तुत फर्जी दस्तावेज एक गंभीर मामला है, इसकी उच्चस्तरीय जांच होना चाहिए। इसके अलावा वाॅल पेंटिंग, प्रचार रथ, नुक्कड़ नाटक के नाम पर भी लाखों रूपयों का भ्रष्टाचार किया गया है। कहा तो यह भी जा रहा है कि प्रचार-प्रसार की निविदाएं जनसंपर्क विभाग में कार्यरत कर्मचारियों/अधिकारियों के रिश्तेदारों, पत्नी, पुत्र-पुत्रियों के नाम पर भी स्वीकृत की जाती हैं।