बिना सूचना 50 हजार से ज्यादा रसोईगैस बुकिंग रद्द, उपभोक्ताओं में हाहाकार

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भोपाल। रसोई गैस कंपनियों ने 29 दिसम्बर से 2 जनवरी तक हुईं तमाम रसोईगैस बुकिंग रद्द कर दीं हैं, इनकी संख्या 50 हजार से ज्यादा है। कंपनियों का कहना है कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि डीबीटीएल के चले सॉफ्टवेयर में बदलाव हुआ है, लेकिन सवाल यह है कि क्या उपभोक्ताओं को परेशान किए बिना सॉफ्टवेयर में बदलाव करना संभव नहीं था ? और यदि नहीं था तो क्या उपभोक्ताओं को इस गति​रोध की पूर्वसूचना दी गई थी ताकि वो वैकल्पिक इंतजाम कर पाते ?

यह एक गंभीर और उपभोक्ता विरोधी कदम है। पूरे शहर में रसोईगैस के लिए हाहाकार मच गया है और रसोईगैस का काला कारोबार फलफूल रहा है। एक सिलेण्डर के लिए लोग 1800 रुपए तक चुका रहे हैं।

इस बारे में इंडेन गैस के वरिष्ठ एरिया मैनेजर एस कुंजूर ने बताया कि रसोई गैस की सब्सिडी बैंक खातों के जरिए देने के लिए डीबीटीएल स्कीम एक जनवरी से दोबारा शुरू की गई है। इस बार आधार कार्ड के साथ एलपीजी आईडी के जरिए उपभोक्ताओं के बैंक खाते में सब्सिडी की राशि पहुंचाई जा रही है। इसके लिए सॉफ्टवेयर में व्यापक बदलाव किए गए हैं। नया सॉफ्टेवयर दो तीन दिन टेस्टिंग में था। इस दौरान हुई बुकिंग को रद्द करना पड़ा।

डिलीवरी में लग सकता है एक हफ्ता
पिछले साल के तीन दिन की बुकिंग रद्द होने पर वितरकों पर डिलीवरी का बोझ बढ़ गया है। ऐसे में नई बुकिंग कराने वालों को 5-7 दिन तक इंतजार करना पड़ सकता है। इस समय 2 जनवरी तक हर वितरक के पास 3 से 4 हजार एलपीजी सिलेंडर की बुकिंग पेंडिंग है। एक वितरक ने बताया कि स्थिति सामान्य होने में कम से कम एक हफ्ते का समय लगेगा।

टोल फ्री नंबर पर नहीं मिल रहा बुकिंग स्टेटस
इंडियन ऑयल के टोल फ्री नंबर 1800-2333-555 पर  शुक्रवार को कई उपभोक्ताओं ने कॉल किया, लेकिन उन्हें बुकिंग स्टेटस के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी।

एक गंभीर उपभोक्ता विरोधी कदम

भोपाल समाचार के विशेषज्ञ पेनल का कहना है कि यह एक गंभीर उपभोक्ता विरोधी कदम है। रसोईगैस आवश्यक वस्तुओं में से एक है। इसके बिना जीवन मुश्किल हो जाता है। कंपनियां साफ्टवेयर में बदलाव के नाम पर बुकिंग रद्द नहीं कर सकतीं। यह उनका इंटरनल मामला है, तकनीकी विशेषज्ञों की मदद लेतीं तो यह समस्या कतई नहीं आती। दुनिया भर में हर रोज सैंकड़ों साफ्टवेयर बदलते हैं परंतु आम आदमी को परेशानी नहीं दी जाती। तेल कंपनियों का यह कदम घोर उपभोक्ता विरोधी एवं अक्षम्य है। उपभोक्ता फोरम को इस मामले में स्वत: संज्ञान लेना चाहिए।

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