ग्वालियर। विशेष न्यायालय की फटकार खाने के बाद लोकायुक्त पुलिस ने अपनी जांच रिपोर्ट न्यायालय में पेश की है। विशेष न्यायाधीश सभापति यादव की अदालत में हुई मामले की सुनवाई में 24 सितम्बर 2011 को पेश इस मामले में परिवादी सुधीर सिंह ने प्रोजेक्ट उदय तथा अन्य मामलों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुये, तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी, तत्कालीन कमिश्नर पवन शर्मा, तत्कालीन कमिश्नर एनबीएस राजपूत, महापौर विवेक शेजवलकर, पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता तथा प्रोजेक्ट उदय के मैनेजर केके श्रीवास्वत, लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण यंत्री, कार्यपालन यंत्री पीडब्ल्यूडी एवं नगर निगम तथा उपयंत्री पीडब्ल्यूडी को आरोपी बनाया है।
परिवादी सुधीर सिंह ने शहर में हुये भ्रष्टाचार की व्यापक जांच कराने की मांग करते हुये, इन आरोपियों के खिलाफ भादस की धारा 420, 409, 467, 468, 471 तथा 120वीं के अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किये जाने की मांग की। उक्त परिवाद लोकायुक्त के गले की फांस बन गया है। कोर्ट ने परिवादी के मुद्दों पर लोकायुक्त पुलिस को जांच के आदेश दिये थे, जिनमें :—
- 5 साल में नगर निगम एवं लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाई गई सड़कों में हेराफेरी, फर्जी सत्यापन, फर्जी भुगतान तथा गुणवत्ता का पालन न करना,
- पसंदीदा ठेकेदारों को कार्य प्रदान कर फर्जी भुगतान किया जाना,
- 24 सितम्बर 2011 से पहले एक साल में 300 नस्थियां 2-2 लाख रूपये की तैयार कर पसंदीदा ठेकेदारों को देना,`
- मुरार स्थित केडीजे अस्पताल की प्रथम लीज में वित्तीय अनियमितता करते हुये निगम को आर्थिक हानि पहुंचाना,
- नगर में एक कार्य कर पुनः उसे उखाड़कर दूसरे फुटपाथ बनाकर अनियमितता की गई
- तथा विगत 1 साल में जेसीबी मशीनों और डम्फरों को जिला प्रशासन और नगर निगम ने किराये पर लिया, इसमें 50 करोड़ के भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप,
तत्कालीन निगम आयुक्त द्वारा अपने गृह जिले के लोगों को स्थाई, अस्थाई रूप से नौकरी पर रखकर भ्रष्टाचार किया गया, प्रोजेक्ट उदय में करोड़ों का भ्रष्टाचार आदि मुद्दों पर जांच की गई थी। संजय शर्मा एड्वोकेट ने बताया कि लोकायुक्त में की गई शिकायत पर इस मामले में एक आरोपी को सजा भी हो चुकी है। उच्च स्तर पर इस मामले को दबाने घुमाने के प्रयास भी जारी हैं। विशेष न्यायालय में अगली 6 फरवरी को लोकायुक्त पुलिस का पक्ष जानने के लिये तारीख निर्धारित की गई है।
