भोपाल। जब से केन्द्र में मोदी सरकार बनी है शिवराज लाचार हो गए हैं। केन्द्र की ओर से आने वाली धनराशि लगातार बाधित हो रही है। फिलवक्त दिल्ली में मध्यप्रदेश के हिस्से के 16 हजार करोड़ से ज्यादा की रकम अटकी हुई है, लेकिन शिवराज लाचार हैं। मनमोहन सरकार होती तो धरने पर बैठ जाते, परंतु अब तो मोदी सरकार है, करें तो क्या करें।
अपना खजाना भरने के लिए शिवराज मजबूरन जनता पर बोझ डालते जा रहे हैं। पेट्रोल/डीजल पर वैट टैक्स बढ़ाकर जाते हुए 2014 में आम जनता की बद्दुआएं भी ले लीं फिर भी हालात नियंत्रण में आते दिखाई नहीं दे रहे हैं। 2015 की शुरूआत रसोई गैस को मंहगा करके की जा रही है। आम आदमी की जेब काटना अब शिवराज सरकार की मजबूरी हो गई है।
अब अपनी ही केन्द्र सरकार के संदर्भ में क्या कहें तो झूठे ही मुस्करा रहे हैं। वित्त मंत्री जयंत मलैया भले ही सूबे के खजाने की हालत को दुरुस्त करार दे रहे हैं, मगर सच यह है कि सबकुछ ठीक नहीं है। इधर शिवराज धर्मसंकट में हैं। राजधर्म निभाएं या पार्टीलाइन पर चलें। इधर कुआं, उधर खाई की स्थिति बन गई है। यदि पार्टीलाइन पर चलते हैं तो पिछले 15 साल में बनाई गई ब्रांड शिवराज की इमेज को पलीता लग जाएगा और यदि राजधर्म निभाते हैं तो कुर्सी पर बने रहना मुश्किल है।
देखना यह है कि हर संकट से बाहर निकल आने वाले चतुर शिवराज इस धर्मसंकट से बाहर निकल पाते हैं या नहीं ?
