भोपाल। इस बार से मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। आगामी 100 साल तक 15 जनवरी को ही मकर संक्रांति मनाई जाएगी।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 14 जनवरी माघ कृष्ण पक्ष नवमीं बुधवार की रात में दशमी तिथि लगने के बाद स्वाति नक्षत्र में दोपहर 1.23 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा। चूंकि संक्रांति का विशेष पुण्यकाल ब्रह्ममुहूर्त और सूर्य दर्शन का पर्व है, इसलिए यह पर्व दूसरे दिन 15 जनवरी को मनाया जाएगा। ज्योतिष मठ संस्थान के संचालक पं. विनोद गौतम के अनुसार संक्रांति का पुण्यकाल 16 घंटे रहता है। गौरतलब है कि हर सौ साल में एक दिन संक्रांति बढ़ती है।
पं. गौतम के अनुसार निर्णय राशियों के एक दिन पीछे चले जाने से हर 100 साल में संक्रांति का एक दिन बढ़ जाता है। पं. गौतम ने बताया कि चूंकि सूर्यास्त के बाद मकर संक्रांति आती है तथा धर्मशास्त्रों में रात्रि में नदी, तालाबों में स्नान वर्जित है ऐसे में दूसरे दिन 15 जनवरी को संक्रांति का पुण्यकाल रहेगा। मकर राशि में जब सूर्य आते हैं तो इनमें देवता नाग, गंधर्व, किन्नर, ऋषिमुनि, संत आदि घाटों पर स्नान करते हैं। रामचरित मानस में भी संक्रांति पर्व का महत्व बताया गया है। इस दिन स्नान से मनुष्य शारीरिक व मानसिक रोगों से मुक्त होता है।
भैंसा पर सवार होकर आएगी संक्रांति
धर्माचार्य पं. विष्णु राजौरिया के अनुसार पंचांग के अनुसार इस संक्रांति का वाहन महिषी (भैंसा), उपवाहन ऊंट, दही भक्षण करते हुए, महावर लेपन, मृग वर्ण, मणि भूषण, श्वेत कंजुकी, और प्रगल्य अवस्था, बैठे हुए, पश्चिम दिशा में जाएगी। इस दिन तिल, गुड़, कंबल का दान, तीर्थों में स्नान, तिल और गुड़ का लेपन व सेवन से पित्त रोगों से मुक्ति मिलेगी।
संक्रांति का राशियों पर प्रभाव
मेष- सम्मानदायक
वृषभ- भयकारी
मिथुन- यश वर्धक
कर्क- कलहकारी
सिंह- लाभकारी
कन्या- संतोषदायक
तुला- धन लाभ
वृश्चिक- हानिप्रद
धनु- लाभप्रिय
मकर- इष्टसिद्घिकारी
कुंभ- धर्म लाभ कारक
मीन- कष्टकारी
(पं. गौतम के अनुसार)
