ग्वालियर। मध्यप्रदेश में जेब कतरों को जेल भेजने के आदेश तत्काल जारी हो जाते हैं, प्रकरण दर्ज होने के 24 घंटे के भीतर न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया जाता है परंतु सरकारी खजानें में करोड़ों की सेंध लगाने वाले घोटालेबाजों के खिलाफ अभियोजना की अनुमति के लिए पूरे एक दशक तक इंतजार करना पड़ा।
स्वास्थ्य विभाग में दवा और उपकरण सप्लाई के नाम पर हुये दो करोड़ के घोटाले में नामजद आरोपियों के खिलाफ लोकायुक्त को 10 साल बाद शासन ने अभियोजन की स्वीकृति दी है। लोकायुक्त एसपी संतोश सिंह ने इसकी पुष्टि की है। घोटाले की शिकायत 2005 में हुई थी, जांच के बाद लोकायुक्त ने 2008 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के साथ 120वी का मामला दर्ज किया था।
घोटाले को अंजाम गत दिवस हत्या के आरोप में गिरफ्तार अशोक गुप्ता ने अपने साले मदन गर्ग मुरैना के साथ मिलकर दिया था। इन दोनों के साथ संयुक्त संचालक स्वास्थ्य अशोक वीरांग तत्कालीन उप संचालक के अलावा डाॅ0 ऊशा चिंचोलीकर एवं डाॅ0 श्री वाचस्पति शर्मा के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था। उल्लेखनीय हैं कि अशोक गुप्ता को पुलिस ने शहर के संजीव बंसल और विजय सिंघल दोनों कारोबारी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया है। 10 साल बाद शासन द्वारा भ्रष्टाचार के मामले में इजाजत देने से अपने आप यह मामला चर्चा में आ गया है।
