देश में मंहगाई का खात्मा, थोक बाजार में मंहगाई दर शून्य

नईदिल्ली। वैश्विक स्तर पर जिंसों की कीमतों में तेज गिरावट के कारण नवंबर माह में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति घटकर शून्य पर आ गई, जो पिछले महीने में 1.77 फीसदी पर थी। इससे उद्योगों द्वारा रिजर्व बैंक पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव और बढ़ गया है। लेकिन अर्थशास्त्रियों की इस पर अलग राय है।

नवंबर में खाद्य पदार्थों, ईंधन और विनिर्मित वस्तुओं सहित सभी प्राथमिक उत्पादों की कीमतों में  गिरावट आई है। इससे पहले जुलाई 2009 में इस तरह की अवस्फीति देखी गई थी। मुद्रास्फीति का यह पांच साल का न्यूनतम आंकड़ा है।

आज जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक नवंबर में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 0.63 फीसदी पर आ गई, जो अक्टूबर में 2.7 फीसदी पर थी। मोटे अनाज, चावल, गेहूं और सब्जियों आदि सभी खाद्य पदार्थों की कीमतों में इस दौरान गिरावट दर्ज की गई। हालांकि फलों, दूध और आलू की कीमतें नवंबर में भी बढ़ी हैं लेकिन इसकी वृद्घि दर पिछले माह की तुलना में कम ही रही। हालांकि इसे महंगाई के जोखिम को पूरी तरह से खत्म होना नहीं माना जा सकता।

इक्रा की वरिष्ठ अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, 'प्रोटीन युक्त पदार्थों, जैसे-दालों और गैर-सब्जी उत्पादों की कीमतें निकट भविष्य में भी मासिक आधार पर बढ़ सकती है, जिससे खाद्य महंगाई का जोखिम बना हुआ है।'

केयर ने अपने एक शोध नोट में कहा है, 'खरीफ सत्र में कम उत्पादन का अनुमान है। ऐसे में आने वाले दो महीनों में कृषि उत्पादों की कीमतें बढऩे का खतरा है।' नवंबर में गैर-खाद्य उत्पादों की कीमतों में भी तेज गिरावट आई। सूचकांक में 14.91 फीसदी भारांश वाले ईंधन और बिजली की कीमतों में नवंबर के दौरान 4.91 फीसदी की गिरावट आई। विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति घटकर 2.04 फीसदी रह गई, जो पिछले महीने 2.43 फीसदी पर थी।

थोक और खुदरा मुद्रास्फीति में नरमी और औद्योगिक उत्पादन में गिरावट के बीच रिजर्व बैंक पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव बढ़ रहा है। यस बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री शुभदा राव ने कहा, 'फिलहाल जिंसों की कीमतों में गिरावट आ रही है लेकिन इसमें तेजी की आशंका बनी हुई है। ऐसे में आरबीआई फरवरी में इस दरों में कटौती के कदम उठा सकता है।'

निर्यात में 7.27 फीसदी की तेजी
नवंबर में देश का निर्यात 7.27 फीसदी बढ़कर 25.96 अरब डॉलर रहा, पिछले साल इसी माह में 24.20 अरब डॉलर था। हालांकि इस दौरान आयात भी 26.79 फीसदी बढ़कर 42.82 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल इसी माह में 33.77 अरब डॉलर था। सोने के आयात बढऩे से देश का कुल आयात बढ़ा है।

आयात बढऩे के कारण देश का व्यापार घाटा भी 18 माह के उच्च स्तर 16.86 अरब डॉलर पर पहुंच गया। वाणिज्य मंत्रालय की ओर से आंकड़ों के अनुसार सोने का आयात इस साल नवंबर में 5.61 अरब डॉलर रहा जो 2013 के इसी महीने में 83.58 करोड़ डॉलर था। अप्रैल-नवंबर के दौरान कुल 215.75 अरब डॉलर का निर्यात किया गया, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 5.02 फीसदी ज्यादा है।

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