करनवास। 01 करोड 40 लाख की लागत से वर्ष 11-12 में बनी 04 किलोमीटर लंबी पनालीरलायती प्रधानमंत्री सडक जगह जगह से उखड चुकी है. कदम कदम पर गहरे गहरे गडडे वाहनों से लेकर पैदल चलने वालों को खासा दर्द देते है.
दुर्घटना घटने का अंदेशा बना रहता है. यदि सड़क का बेस तकनीकी दृष्टि से सही होता, संबंधित इंजीनियरों ने ठेकेदार पर भरोसा करने की बजाय देखरेख की होता और समय समय पर टेस्ट लिए गए होते तो ये सडक प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक प्राधिकरण की साख पर बट्टा नहीं लगता। विभागीय अनदेखी, लापरवाही ने ठेकेदार को मनचाह करने और आंखों में धूल झौंकने का खासा मौका दिया.
सबसे बडी बात ये कि पनाली, रलायती के ग्रामीणों ने वर्ष 13 में ही सडक की दुर्दशा से विभाग को अगाह कर दिया था लेकिन विभाग ने नियमानुसार ठेकेदार से मरम्मत कराने की बजाय उसे राहत दे दी. नतीजन वर्ष 13 के गड्डे 14 में जानलेवा हो चले. बारिस खत्म हुए 04 महीने हो चुके हैं लेकिन विभाग की निष्क्रियता को देखते हुए लगता है कि विभाग ठेकेदार को अभयदान देकर सरकार को लाखों का चूना लगाने के मूड में है।
श्याम चौरसिया