कड़ाके की सर्दी में बूढ़े पेंशनर्स को बेघर कर रही है एसईसीएल

राजेश शुक्ला/अनूपपुर। न्यायालय के तथाकथित आदेश की आढ में एसईसीएल के कर्मचारियों द्वारा पहले राजनगर और फिर बदरा, गोविन्दा, लहसुई, पसान, जमुना मेें जिस तरह से लोगो को आतंकित कर उन्हे बेघर किया जा रहा है, प्रबंधन और प्रशासन की कार्र्यशैली और मंशा पर कई गंभीर सवाल उठ खडे हुए है। कडाके की ठंड में लोग बेघर हो गये है और हजारों लोग खुले आसमान के नीचे पनाह लेने को बाध्य है। इन्हे किसी तरह की कोई राहत देने में स्थानीय जनप्रतिनिधि बुरी तरह नाकाम साबित हुए है।


एसईसीएल करा रहा जबरन घर खाली
मामले से जुडे स्थानीय सूत्रो के अनुसार एसईसीएल जमुना, गोविन्दा पसान, बदरा, राजनगर में वर्षाे से रह रहे हजारो सेवानिवृत कालरी कर्मचारियो और उनके परिजनो से जबरन, बलपूर्वक उनके आवास खाली करा रहा है। जबकि पीडित लोगो के पास कोई वैकल्पिक व्यवस्था तक नही है।

सेवा निवृति के बाद दडबो को बनाया आशियाना
40-50 वर्ष पूर्व यहां की कोयला खदानो में जो श्रमिक कार्यरत थे, उस वक्त रिजेक्टेड दडबे नुमा घरो में अपना ठिकाना बनाया। यहां वे वर्षाे से रह रहे है और अचानक उन्हे किसी सक्षम आधार के घर खाली करने को कहा गया। इन मकानो में न तो शौचालय थे और न ही किसी प्रकार कीकोई सुविधा इसके बाद भी लोगो ने अपना खून-पसीना बहाकर इन मकानो को अपना आशियाना बनाया। यह मकान अत्यंत जर्जर है और लोगो के खाली करते ही कुछ महीनो में ही ये खंडहर हो जायेगे।

खाली कर चुकी एसईसीएल जमीन
मामले का सर्वाधिक चौंकाने वाला तथ्य यह है कि पसान, गोविन्दा, जमुना, लहसुई की कुछ कालोनी ऐसी है जिन्हे एसईसीएल ने यहां काम बंद होने के बाद छोड दिया था। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब एसईसीएल ने जिन क्षेत्रो में कोयला उत्खनन बंद कर दिया है या लीज की अवधि समाप्त हो चुकी है, उसे राज्य सरकार को वापस न कर जबरन उस पर अपना दावा ठोकना, बल पूर्वक कार्यवाही करना किसी भी तरीके से सही नही कहा जा सकता।

अदालती आदेश का दिखा रही भय
लोगो ने आरोप लगाया है कि एसईसीएल के अधिकारी अदालत के तथा कथित आदेश को आधार बना कर पुलिस बल के बूते जिन घरो को खाली करा रही है, लोगो के मांगे जाने के बावजूद उसे दिखाने तक को तैयार नही है। इससे प्रबंधन की कार्यशैली और मन्शा संदेह के घेरे में है। जब कि उसे पारदर्शिता बरतते हुए अदालती आदेश की कॉपी विभिन्न कार्यालयो में चस्पा करना चाहिए या लोगो को नोटिस के साथ वितरित करना चाहिए। आरोप हैकि कई जगह लोगो केा नोटिस तक नही दिया गया है।

आम जनता पर अत्याचार
जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता की सरकार का दावा उस वक्त खोखला साबित होता है जब एसईसीएल प्रशासन को साथ लेकर तमाम नेताओ, ठेकेदारो सक्षम लोगो, अन्य शासकीय कर्मचारियो अधिकारियो, विभिन्न संगठनो के पदाधिकारियो को नियम विरूद्ध तरीके से एसईसीएल के मकानो में रहने की पात्रता देते हुए उन्हे अलाट किये गये। जब की आम जनता पर अत्याचार करते हुए उन्हे अतिक्रमणकारी बतला कर उनकी झोपडिया तक गिरा दी गई या खाली करा ली गई।

जनप्रतिनिधियों के आचरण से हतप्रभ लोग
जिन्हे आम जनता अपना नेता मानकर वर्षाे उनके पीछे घुमती रही और उन्हे वोट देती रही, वे इस संकट की घडी में निहायत असहाय और बौने साबित हुए। कुछ जनप्रतिनिधि जनता को छोड अपने चापलुसो केा बचाने के लिए पूरी ताकत लगाते दिखे। जनप्रतिनिधियो के इस आचरण से आम जनता हतप्रभ है।

सांसद ने लिखा कार्यवाही के लिए पत्र
पसान में पीडितो ने आरोप लगाया है तथा तमाम सोसल साईटस पर वायरल हुई शहडोल सांसद दलपत सिंह परस्ते के पत्र ने भी कालरी प्रबंधन को कार्यवाही करने के लिए प्रेरित किया है। इस पत्र में सांसद ने कालरी क्षेत्रो में रह रहे लोगो द्वारा अवैध बिजली, पानी उपयोग को मुद्दा बनाते हुए लोगो के विरूद्ध कार्यवाही करने केा कहा गया है जब की सांसद ने ऐसे किसी पत्र के अस्तित्व से इंकार किया है।

खुले आसमान के नीचे कर रहे जीवन बसर
क्षेत्र में भ्रमण के दौरान पत्रकारो ने पाया कि पसान क्षेत्र में हजारो लोग, जिन्हे बेघर किया गया है, या तो उनके सामान, गृहस्थी खतरे मे है या फिर खुले आसमान के नीचे जीवन यापन करने को बाध्य है। महिलाए पेड के नीचे भोजन पकाते देखी जा सकती है, बुजुर्ग खुले में लेटे देखे जा सकते है, बच्चे स्कूल छोडकर सडको पर खेलते/पढते पाये गये। घर परिवार अस्त-व्यस्त होने के कारण बच्चे स्कूल नही जा रहे और ना ही युवा रोजगार के लिए।

वर्षाे होती रही अवैध वसूली
अब लोग खुले आम आरोप लगा रहे है कि कुछ लोगो द्वारा इनसे सुविधाओ के नाम पर वर्षाे अवैध वसूली होती रही और जिनके बूते लोग इन माकानेा में वर्षाे से अवैध रूप से रहते रहे अब उनका कोई अता-पता नही है। यह यक्ष प्रश्र है कि ऐसे लापरवाह अधिकारियो के विरूद्ध कार्यवाही क्यो नही होना चाहिए।

नवागत कलेक्टर से बंधी आस
सैकडो पीडितो की दुर्दशा केा देखते हुए नवागत कलेक्टर नरेन्द्र सिंह परमार से जिले के वरिष्ठ पत्रकारो, स्थानीय युवा समाजसेवी साबिर हुसैन बबलू, अफसर अली सहित अन्य लोगो ने अपील की है कि लोगेा को कम से कम कडाके की ठंड में कार्यवाही से राहत देते हुए ३ माह की मोहलत प्रदान करें। संवेदनशील कलेक्टर से लोगो ने मांग की है कि बच्चो की परीक्षा पूरी हो जाने और ठंड का मौसम निकल जाने तक लोग स्वत: अपनी वैकल्पिक व्यवस्था कर लेगे। इसे लेकर लोगो का एक समूह कलेक्टर महोदय से मिलने की तैयारी कर रहा है।

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