भोपाल। करोंद की अमन कॉलोनी में गुरुवार सुबह ईरानियों पर हमले की तैयारी पहले ही कर ली गई थी। इस बवाल को अंजाम देने वाले उपद्रवी भोपाल के अलग-अलग क्षेत्रों से बुलाए गए थे। उपद्रव में घायल हुए लोगों ने 70 फीसदी से ज्यादा आरोपियों को पहले कभी देखा ही नहीं था। फरियादियों के बयान और अब तक की पड़ताल में ये जानकारी पुलिस को मिली है। पुलिस फिलहाल यह पता लगा रही है कि दूसरे क्षेत्रों से उपद्रवियों को बुलाने की योजना किसने बनाई थी?
विवाद बाद शुक्रवार को भी अमन कॉलोनी में एहतियातन पुलिस और अर्द्धसैनिक बल तैनात रहे। पुलिस की गिरफ्त में आए 33 आरोपियों में से ज्यादातर क्षेत्र से बाहर के हैं। एसपी नॉर्थ अरविंद सक्सेना के मुताबिक अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने दबिश शुरू कर दी हैं।
डेढ़ महीने के मासूम की मौत
अमन कॉलोनी में रहने वाले डेढ़ माह के मासूम की शुक्रवार की दोपहर तीन बजे मौत हो गई। उसके पिता अमजद का कहना है कि हमला हुआ तो बच्चे की मां बाहर भागी इतने में एक बम आकर घर में गिरा। इससे बच्चे को चोट आई थी। हालांकि, एसपी अरविंद सक्सेना का कहना है कि बच्चे के दिल में छेद था और उसका चिरायु अस्पताल में इलाज भी चल रहा था। मौत की वजह हिंसा में आई चोटें नहीं हैं।
पुलिसिया लापरवाही से गृहमंत्री नाराज
गृहमंत्री बाबूलाल गौर ने माना है कि इस हिंसा को लेकर पुलिस को और सतर्क रहना चाहिए था। सीआईडी भी इसे लेकर पर्याप्त इनपुट नहीं जुटा पाई। इसे लेकर गृहमंत्री ने डीजीपी सुरेंद्र सिंह और अन्य पुलिस अफसरों के साथ शुक्रवार को अपने निवास पर बैठक की। वहीं, हिंसा में घायल हुईं महिलाओं ने गृहमंत्री के बंगले पर पहुंचकर मुलाकात की। अंजुमने ईरानी की कोषाध्यक्ष मिशकिल अली के अनुसार गृहमंत्री से मांग की गई है कि आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए।
पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने के साथ ही उनकी सुरक्षित वापसी भी करवाई जाए। इस पर गृहमंत्री ने उन्हें भरोसा दिलाते हुए उनके प्रारंभिक इलाज कराने का भी वादा किया है।