सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। बालाघाट जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पंचायत चुनाव की सरगर्मी और बांस कटाई की गतिविधियां आरंभ होते ही बालाघाट जिले में नक्सलवादियों की सक्रियता बढ़ गई है उनकी गतिविधियां अब पुराने पैठ वाले इलाकों से बढकर मलाजखंड ताम्रपरियोजना की ओर बढने की जानकारी प्राप्त हुई है नक्सल प्रभावित चैरिया में विगत 24 घंटों से उनकी मौजूदगी का पता चला है।
उनकी सक्रियता बढने के संबंध में पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी ने अवगत कराया की नक्सलवादीयों की सक्रियता का कारण विगत 4 दिनों से बालाघाट मध्यप्रदेश,गोंदिया महाराष्ट, और राजनांदगांव छ.ग. की पुलिस द्वारा चलाये जा रहे सयुक्त सर्चिंग अभियान का परिणाम है।
पता चला है कि नक्सलवादी संगठनों ने पिछले कुछ अंतराल से ताम्रपरियोजना के समीपी ग्रामों छिंदीटोला,बोरखेडा,कोसाटोला,भुरूफ,कंदई तथा कटंगी में अपनी आमद रफत बढाई है इस संबंध में पुलिस अध्ीाक्षक बताते हैकि नक्सलवादियों के पुराने इलाकों में निरंतर सर्चिंग के दबाव के चलते नक्सली अपने लिये नये ठिकानों की तलाश में लग गये है।
श्री तिवारी ने यह भी अवगत कराया की निरंतर सर्चिंग के चलते अब नक्सलवादियों को एक जगह ठिकने और रूकने नही दे पा रहे है इसके चलते नक्सली अब नये ठिकाने बनाने लगे है उन ठिकानों पर हमारी नजर भी है चैरिया में उनकी अचानक सक्रियता बड जाने का कारण छ.ग. और महा. की सीमा पर 5 हाकफोर्स और 3 सीआरपीएफ की टीमों के अलावा राजनांदगांव और गोंदिया पुलिस के साथ सयुक्त सर्चिंग अभियान चलाया जा रहा है।
यह उल्लेखनीय है कि पिछले लंबे अरसे से नक्सल प्रभावित अतिसंवेदनशील माने जाने वाले पितकोना,डाबरी,सोनगुड्डा,बिठली आदि क्षेत्र में उनकी सक्रियता कम होने का कारण यह भी है कि हर 15-20 किलोमीटर पर पुलिस चैकी बन जाना और पुलिस बल का निरंतर दबाव बना रहना है।
पिछले 3 माह के अंतराल में नक्सलवादियों ने नगरीय निकायों के चुनाव के बाद से अब ग्राम पंचायतों के चुनाव की गतिविधियां के चलते उनकी सक्रियता बडी है वे ग्राम पंचायतों में अपने समर्थक उम्मीदवारों को पंच सरपंच के रूप में चुनकर भेजने की फिराक में लगे है यह भी बताया गया है कि नक्सली ताम्रपरियोजना से लगे गांव को ग्रामीणों की इच्छा के विपरित प्रशासन मलाजखंड नगर पालिक से जोडे जाने से उनकी नाराजगी के सोर सुनाई दिये और उनके इशारों पर चुनाव का बहिष्कार किया गया। अब नक्सलवादी ग्राम पंचायत चुनाव में वे छोटे-छोटे समूह बनाकर अपने पंसद के प्रत्याशी को चुनाव लडाने की और उन्हे चुनकर पंचायतों में भेजने के लिये सक्रिय है।
पुलिस अधीक्षक भी स्वीकारते है कि नक्सली अपने हमदर्द और कुछ जागरूक आदिवासियो को जीताने के लिये सक्रिय है ताकि उनका इस इलाके में प्रभाव बना रहे।
पुलिस के बढते दबावों के कारण नक्सलवादीयों ने अपनी रणनीति में फेरबदल कर दिया है अब वे राशिमेटा, बोंदरी और दरकसा जैसा दुरगम पहुच विहिन इलाकों में अपनी बैठक करते है जहां से पुलिस चैकियां 15-20 किलोमीटर दूर हो और जहां पुलिस बल को पहुचने में समय लगाता है। जब तक उनके ठिकाने का पता पुलिस को लगाता है वे और कहीं आगे बढ जाते है।