भोपाल के स्कूलों में नहीं हैं सुरक्षा इंतजाम

shailendra gupta
भोपाल। प्रदेश की क्या बात करें राजधानी का कोई भी सरकारी एवं निजी स्कूल सुरक्षा के मामले में जारी केंद्र की गाइड लाइन पर खरा नहीं उतर रहा है। यहां निजी स्कूल सुरक्षा की सिर्फ औपचारिकता निभा रहे हैं, तो सरकारी स्कूलों में सुरक्षा के इंतजाम तक नहीं हैं। इन स्कूलों में  तो बाउंड्रीवॉल भी नहीं हैं। ऐसे में सुरक्षा की बात करना ही बेमानी है। स्कूलों में टॉयलेट हैं, पर उनकी सफाई नहीं होती और पानी भी नहीं रहता। भवनों में बैठने के लिए पर्याप्त जगह भी नहीं है।

सरकारी स्कूलों की बात करें, तो शहर के महज दो स्कूलों (मॉडल हायर सेकंडरी स्कूल टीटी नगर और सुभाष उत्कृष्ट विद्यालय शिवाजी नगर) में सुरक्षा के इंतजाम हैं। इन स्कूलों में छह फीट ऊंची दीवार भी है और मजबूत गेट भी। दोनों स्कूल सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में हैं और गेट पर सुरक्षा गार्ड भी है। इन दोनों में भी बेहतर सुविधा मॉडल स्कूल में है।

यह स्कूल कुछ हद तक केंद्र की गाइड लाइन के मुताबिक विद्यार्थियों को सुरक्षा मुहैया करा रहे हैं। स्कूल के प्राचार्य एमएल दुबे बताते हैं कि परिसर के अंदर और बाहर होने वाली हर हरकत पर सीसीटीवी के माध्यम से उनकी नजर रहती है। मिडिल स्कूल दीपशिखा में भी सुरक्षा के इंतजाम हैं। यहां गर्ल्स हॉस्टल भी संचालित है।

बाउंड्रीवॉल और गेट शहर के दूसरे सरकारी स्कूल (कमला नेहरू कन्या उमावि, कस्तूरबा कन्या उमावि, नवीन कन्या उमावि, मॉडल शाहजहांनाबाद) में भी हैं, लेकिन उपयोगी नहीं हैं। इन स्कूलों में सुरक्षा गार्ड न होने के कारण गेट एक बार खुलता है, तो दिनभर खुला ही रहता है। हमीदिया हायर सेकंडरी स्कूल 'गिन्नौरी' में तो सुरक्षा की बात ही खत्म हो जाती है।

यहां स्कूल स्थित खेल परिसर में बाहरी युवा खेल मैदान में खेलते रहते हैं। जिले के 372 सरकारी मिडिल स्कूलों की स्थिति तो और भी खराब है। रसीदिया मिडिल स्कूल को ही लें। यहां बाउंड्रीवॉल तो है, लेकिन पड़ोसियों का आना-जाना स्कूल परिसर से है। इसलिए यहां के गेट कभी बंद ही नहीं होते। जिले के महज आधा दर्जन स्कूलों में ही बाउंड्रीवॉल है। शेष स्कूलों में सीधे अंदर तक जाया जा सकता है। ऐसे ही हालात सरकारी प्राइमरी स्कूलों के भी हैं।

प्राइवेट स्कूलों में अधूरे इंतजाम
सुरक्षा के मामले में प्राइवेट स्कूल सरकारी स्कूलों से बेहतर हैं, लेकिन इंतजाम उनमें भी पूरे नहीं हैं। बढ़िया चारदीवारी और व्यवस्थित गेट सिर्फ बाहरी लोगों को रोकने के लिए हैं। हमले की स्थिति में इन स्कूलों के विद्यार्थी भी सुरक्षित नहीं कहे जा सकते हैं। सेंट जेवियर सीनियर सेकंडरी स्कूल में तीन गेट हैं। जिन पर हमेशा गार्ड रहते हैं। स्कूल के प्राचार्य फादर मेलविन बताते हैं कि विद्यार्थियों के अंदर पहुंचते ही गेट बंद कर ताले डाल दिए जाते हैं और बाहरी लोगों को प्रबंधन की इजाजत के बगैर अंदर नहीं आने दिया जाता।

हालांकि हमले की स्थिति से निपटने के लिए स्कूल के पास कोई तैयारी नहीं है। इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल के प्राचार्य पीएस कालरा बताते हैं कि उनके स्कूल में भी तीन गेट हैं और सिर्फ एक गेट खोला जाता है। जिस पर पूरे समय गार्ड रहते हैं। वे किसी को भी बगैर पूछताछ के अंदर नहीं आने देते। सीबीएसई और आईसीएसई से संबद्घ शहर के निजी स्कूलों की अमूमन यही स्थिति है।

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