भोपाल। भोज विश्वविद्यालय और राज्य उद्यमिता विकास केंद्र (सेडमेप) के बीच हुए फीस के विवाद में 10 हजार विद्यार्थियों की मार्कशीट रुक गई हैं। विवि ने रिजल्ट तो जारी कर दिए हैं, लेकिन फीस जमा न होने से विद्यार्थियों को मार्कशीट नहीं मिल रही हैं। वहीं, छात्रों को दो बार फीस चुकाना पड़ रही है, तब उन्हें मार्कशीट दी जा रही है। गौरतलब है कि सेडमेप ने भोज विश्वविद्यालय से डीसीए और पीजीडीसीए पाठ्यक्रम कराने के लिए वर्ष 2006 में करार किया था। इसके तहत सेडमेप के माध्यम से एडमिशन लेने वाले विद्यार्थियों की परीक्षा भोज विवि को करानी थीं। इस दौरान भोज विश्वविद्यालय ने वर्ष 2006 से 2012 तक करीब 10 हजार विद्यार्थियों की परीक्षा कराई। अब इन विद्यार्थियों की फीस भुगतान का मामला उलझ गया है। इससे परीक्षा देने वाले 10 हजार विद्यार्थियों को परेशान होना पड़ रहा है। विद्यार्थी अब मार्कशीट की एवज में विवि के चक्कर काट रहे हैं। वहीं, विवि विद्यार्थियों को फीस जमा करने के बाद ही मार्कशीट जारी करने की बात कह रहा है। इस तरह विद्यार्थियों को एक ही पाठ्यक्रम के लिए दो बार फीस जमा करनी पड़ रही है। इससे विद्यार्थी अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं। वे कभी सेडमेप के कार्यालय तो कभी भोज विवि के चक्कर काट रहे हैं और मार्कशीट के लिए भटक रहे हैं। विश्वविद्यालय ने सेडमेप से फीस के बकाया 2 करोड़ 12 लाख रुपए मांगे है। इसके लिए विवि ने सेडमेप को पत्र जारी कर दिया है।
10 हजार तक ली फीस
सेडमेप ने डीसीए और पीजीडीसीए पाठ्यक्रमों के लिए विद्यार्थियों से 8-10 हजार रुपए फीस ली है। हालांकि सेडमेप द्वारा ली गई फीस की रसीद दिखाने पर विवि छात्र-छात्राओं को मार्कशीट दे रहा है, लेकिन जिन छात्रों के पास फीस की रसीद नहीं है। उन्हें खासी परेशानी उठानी पड़ रही है। इन छात्र-छात्राओं को विवि की फीस के आधार पर 1400 रुपए जमा करने है, इसके बाद ही मार्कशीट दी जा रही है।
10 हजार तक ली फीस
सेडमेप ने डीसीए और पीजीडीसीए पाठ्यक्रमों के लिए विद्यार्थियों से 8-10 हजार रुपए फीस ली है। हालांकि सेडमेप द्वारा ली गई फीस की रसीद दिखाने पर विवि छात्र-छात्राओं को मार्कशीट दे रहा है, लेकिन जिन छात्रों के पास फीस की रसीद नहीं है। उन्हें खासी परेशानी उठानी पड़ रही है। इन छात्र-छात्राओं को विवि की फीस के आधार पर 1400 रुपए जमा करने है, इसके बाद ही मार्कशीट दी जा रही है।