भोपाल। व्यापमं की एसआई, सूबेदार भर्ती परीक्षा 2012 फर्जीवाडे में राजधानी के सेंट्रल जेल में जन्मदिन के दिन दाखिल हुए निलंबित डीआईजी आरके शिवहरे अब ‘कैदी नंबर 616’ हो गए हैं।
जन्मदिन की सुबह जेल में दाखिल हुए शिवहरे को केक के बदले सामान्य कैदियों की तरह शाम के खाने में मूंग की दाल और छह रोटियां दी गर्इं। जेल सूत्रों का कहना है कि शाम के वक्त शिवहरे सेल में गुमसुम बैठे रहे। इस दौरान जेल कर्मियों ने उनसे बात करने की कोशिश की, तो उन्हें कोई जवाब नहीं दिया। शिवहरे को सेंट्रल जेल के खंड (अ) में स्थित विशेष सेल में सीसीटीवी कैमरों की नजर में रखा गया है, साथ ही उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखकर दो जेल कर्मियों को उनके आसपास तैनात किया गया है, जो 24 घंटे उनके हर मूवमेंट पर नजर रखेंगे।
गौरतलब है कि व्यापमं की सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा 2012 में हुई गड़बड़ी में आरोपी बनाए गए निलंबित डीआईजी आरके शिवहरे को चार दिन जेल में रहना होगा। एसटीएफ ने उन्हें गुरुवार को अदालत में पेश किया था, जिस पर अदालत ने शिवहरे को ज्यूडिशियल रिमांड पर 28 अप्रैल तक जेल भेजने के आदेश दिए थे। उन्हें शुक्रवार को जेल भेज दिया गया। हालांकि, एसटीएफ ने 29 अप्रैल तक शिवहरे का पुलिस रिमांड मांगा था।
इससे पहले शिवहरे ने अदालत में एक आवेदन पेश कर आरोप लगाया कि उन्हें परेशान करने के लिए एसटीएफ ने अभी एक ही मामले में गिरफ्तारी की है और दूसरे में कुछ नहीं किया, लेकिन अदालत ने इस आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की। वहीं, आरके शिवहरे ने सोमवार को एसटीएफ के सामने सरेंडर किया था। इसी बीच शिवहरे के वकील ने सीजेएम पंकज माहेश्वरी की अदालत में एक आवेदन पेश किया था।
दरी पर सोएंगे, ओढ़ने के लिए दी गई दो चादरें
निलंबित डीआईजी आरके शिवहरे को अन्य बंदियों की तरह जेल में दरी पर सोना होगा। ओढ़ने के लिए एक कंबल और दो चादर दी गई हैं। वहीं, खाने में मूंग की दाल, छह रोटियां मिलीं। उन्होंने कभी ऐसा नहीं सोचा था कि इस तरह के भी दिन देखने को मिलेंगे। कभी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा,
मुझे फंसाया गया है
दस्तावेज सूची पेश जेल में बंद होने के बाद शिवहरे ने एक वरिष्ठ अधिकारी के सामने कहा कि उन्हें फंसाया गया है। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें जेल आना पडेÞगा। वो रोते हुए बोले की डीआईजी रहते हुए मैंने कभी किसी पुलिस कर्मी को परेशान नहीं किया और न ही किसी का कुछ गलत काम करवाया, बावजूद मुझे जेल आना पड़ा।