पोर्न मामले में रुख साफ नहीं कर रही सरकार, इन्दौर के वकील ने लगार्इ् है याचिका

नई दिल्ली। एक ओर चीन ने जहां अश्लील वीडियो वाले सैकड़ों वेबसाइटों को प्रतिबंधित कर दिया है, वहीं दूसरी ओर इस संबंध में भारत सरकार अपना रूख ही साफ नहीं कर रही है। अश्लील और पोर्न वीडियो व फोटो दिखाने वाले वेबसाइटों पर रोक लगाने के अपने निर्देश पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से अपनी प्रतिबद्धता को लेकर एक सप्ताह के भीतर हलफनामा देने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बीएस चौहान की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार का दूरसंचार विभाग के सचिव को इस बारे में हलफनामा देने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि सरकार साफ बताए कि वह अश्लीलता पोर्न परोसने वाली वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश को लागू कराने को प्रतिबद्ध हैं या नहीं। सुप्रीम कोर्ट बच्चों के अश्लील वीडियो पर गहरी नाराजगी जताई है।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स ने कहा कि वे स्वेच्छा से ऎसी साइटों पर रोक नहीं लगा सकतीे हैं। इसके लिए सरकार को ही निर्देश देने होंगे।सुप्रीम कोर्ट मप्र के इंदौर के वकील कमलेश वासवानी की याचिका की सुनवाई पर ये निर्देश दिए हैं। वासवानी के वकील विजय पंजवानी ने दलीलें दीं।

उन्होंने बताया कि आज इंटरनेट के जरिए 20 करोड़ से अधिक अश्लील और पोर्न वीडियो वेबसाइटों के जरिए बच्चों तक पहुंचाएं-दिखाए जा रहे हैं। इससे बाल अपराध जैसे अपहरण, बंधक बनाने की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हो रही है।


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