भोपाल। मध्यप्रदेश की ओबीसी आरक्षण नीति सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ उसकी अवमानना कारित करती है। महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया जा रहा है परंतु मध्यप्रदेश में इस मामले में मनमानी की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट में मध्यप्रदेश लोकसेवा अधिनियम 1994 की धारा 4 को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट में दायर रिट याचिका में दावा किया गया है कि इस अधिनियम के तहत प्रदेश सरकार राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग को सरकारी नौकरियों में सिर्फ 14 प्रतिशत आरक्षण प्रदान कर रही है, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का ना केवल उल्लंघन है बल्कि उसकी अवमानना भी है।
रामेश्वर सिंह ने अपने वकील वरुण ठाकुर के माध्यम से दायर याचिका में दावा किया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 1992 के अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना चाहिए।
यह व्यवस्था केन्द्र के सभी विभागों के साथ ही महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, बिहार सहित अन्य राज्यों में लागू की है, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने 1994 में एक कानून बनाकर इसे प्रदेश में 14 प्रतिशत तक सीमित कर दिया है, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश की मूल भावना के खिलाफ है।