भोपाल। इन्दौर में पुलिस ने दो पत्रकारों को बंधक बनाकर बुरी तरह पीटा, इस मामले में जब बीचबचाव करने कुछ अन्य पत्रकार पहुंचे तो पुलिस ने उन पर भी लाठीचार्ज कर दिया। इस घटना की पूरी प्रदेश में तीव्र निंदा हुई है, प्रदेश भर के पत्रकार आंदोलित हैं।
घटना शनिवार की है, एक न्यूज़ चैनल के दो पत्रकारों का रेलवे स्टेशन पर पार्किंग को लेकर पार्किंग स्टेण्ड संचालक से विवाद हो गया था, जिसके बाद पत्रकार उसकी शिकायत करने जीआरपी थाने पहुंचे तो पुलिस ने स्टेण्ड संचालक के साथ मिलकर पत्रकारों को कमरे में बंद कर जमकर पीटा।
जब शहर के अन्य पत्रकारों को इसकी भनक लगी तो सभी थाने पहुंचे और आरोपियो के खिलाफ रिपोर्ट लिखने को कहा, लेकिन पुलिस ने एक बार फिर पत्रकारों पर लाठियां भांज दी। इस लाठीचार्ज में करीब आधा दर्जन पत्रकार घायल हो गए, जिसमें तीन पत्रकारों को गंभीर हालत में निजी अस्पताल में भर्ती किया गया है। इस घटना के काफी देर बाद रेल एसपी जीआरपी थाने पहुंचे और जांच के बाद कार्रवाई का आश्वासन दिया।
इसके बाद जब मामला राजधानी में पहुंचा और राजधानी के पत्रकारों ने इसका तीखा विरोध किया तो रेल एसपी ने तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है। वहीं प्रदेश के गृहमंत्री बाबूलाल गौर ने मामले की जांच रेलवे AIG को सौंपी है और 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा है, हालांकि टीआई के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
औपचारिकता से काम नहीं चलेगा मंत्री महोदय
तीन पुलिसकर्मचारियों को सस्पेंड करने और उच्च अधिकारी से जांच कराने भर से इस मामले में काम नहीं चलने वाला। पूरे प्रदेश के पत्रकार इस मामले में एकजुट हो गए हैं एवं आंदोलित हैं। पत्रकारों को अवैध रूप से बंधक बनाकर मारपीट करने वाले तमाम थाना स्टाफ के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाना चाहिए एवं लाठीचार्ज में शामिल सभी पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया जाना चाहिए।