पति करोड़पति और पत्नि गरीबीरेखा के नीचे, एक छत के नीचे रहते हैं दोनों

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भोपाल। वो दोनों एक ही छत के नीचे रहते हैं, ना विवाद है ना तलाक, लेकिन पति करोड़पति है और पत्नि का नाम गरीबी रेखा के नीचे। क्यों, जरूरत क्या है, किसने किया, कहां पर हुआ जानने के लिए पढ़िते रहिए

मध्यप्रदेश के गावों में हो रहे गरीबी रेखा घोटाले की यह एक बानगी मात्र है। पूरे प्रदेश में हजारों ऐसे मामले मौजूद हैं परंतु प्रशासनिक अमला इसे लगातार नजर अंदाज कर रहा है। या यूं कहिए कि दबंगों के यहां बंधुआ प्रशासन कार्रवाई की हिम्मत ही नहीं कर पा रहा है। पढ़िए यह ईमेल:—

प्रति ,
संपादक महोदय ,
भोपाल समाचार डॉट कॉम                                                                                                                                                                                    
विषय :-पति का करोड़ों का व्यवसाय और पत्नी का नाम गरीबी रेखा की श्रेणी में तथा सरपंच कि दबंगई को दृस्टिगोचर करने बावत

मैं सरपंच के पारिवारिक भाई राजेश शिवहरे की यथार्थ कहानी लिख रहा हूँ -इस व्यक्ति का जन्म इसी ग्राम पंचायत में हुआ था,इनके नाम लगभग 20 -30 बीघा जमीन ,एक ट्रेक्टर, एक मोटर साइकिल तथा एक सीमेंट की ऐसी दुकान जिसका वार्षिक टर्न ओवर करोंडो का है, एक लायसेंसी राइफल बन्दूक है। इतना ही नहीं महोबा उत्तर प्रदेश में महाशय का निजी मकान है, जिसकी कीमत लगभग 30 -40 लाख होगी, उसमें अपना निवास बनाये हुए हैं. इन सबके बावजूद भी इनकी पत्नी का नाम गरीबी रेखा की श्रेणी में करवाकर, कपिल धारा  योजना के अंतर्गत कुंआ खुदवाया जा रहा है। जिसकी शासन द्वारा लागत 2.85 लाख होती है।

मैंने सूचना के अधिकार के तहत तहसील कार्यालय लवकुशनगर से जानकारी मांगनी चाही, लेकिन यहाँ rti को खिलवाड़ समझने वाले लोगों कि कमी नहीं है, जिससे मुझे आज तक कोई जानकारी नहीं दी गयी। और मुझे अपनी बात आपको सुनाने के लिए विवश होना पड़ा।

महोदय इतना ही नहीं, इस ग्राम में विगत पांच वर्षों से आज तक नाली साफ़ नहीं कराइ गयीं, और साफ़ कराने के नाम पर पूरी कि पूरी राशि हज़म कर ली गयी।

श्रीमान जी, मैं एक ऐसी घटना का वर्णन प्रेषित कर रहा हूँ, जिसे पढ़कर आपकी भी आँखें भर आएँगी -ये घटना है 2 अप्रैल 2014 दिन गुरुवार की। एक ऐसी माँ,जो विधवा एवं वृद्ध थी, जिसे मप्र की सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के अंतर्गत 150/- प्रति माह मिलते थे। इस वर्ष मप्र सरकार की एक योजना लांच हुई कि जिसका नाम सामाजिक सुरक्षा पेंशन या गरीबी रेखा कि श्रेणी में है उसे ही अब अनाज ,केरोसिन ,शक्कर आदि गाव में राशन की दूकान से मिलेगा लेकिन पंचायत द्वारा बनाई एक पर्ची जरूर होना चाहिए। अब क्या हुआ, इस माँ का छोटा बेटा जगदीश कुशवाहा सरपंच और सचिव के पास गया और वो पर्ची लेकर राशन कि दूकान से पूरी सामग्री ले आया और उसने अपनी माँ को कुछ भी नहीं दिया, क्योंकि माँ अपने बड़े बेटे मलखान के साथ जो रहती थी। जब माँ द्वारा मंगाए जाने के बावज़ूद वो राशन नहीं मिल सका, तो बड़े बेटे तथा उसकी पत्नी ने उसे घर से निकाल दिया। अब ज़रा आप ही सोचिये ,उसने क्या किया होगा ,उसने वही किया जो करना चाहिए था। वो पुनः अपने छोटे बेटे जगदीश के पास गयी और बोली बेटा ,मुझे मलखान ने तथा उसकी पत्नी ने अपने घर से बेइज्जत करके निकाल दिया है ,अब मैं तुम्हारे साथ ही रहूंगी ,लेकिन जगदीश ये सब मानने को कहाँ तैयार था। सो उसने भी वैसा ही किया ,जैसा उसके बड़े भाई ने किया था।

 महोदय फिर भी उस माँ ने हिम्मत ना हारी और पूरे गाव में सुनाती फिरी ,साथ ही सरपंच को भी सुनाई। लेकिन सभी लोग उसकी फ़रियाद को नजरअंदाज करते रहे। अंत में उस बेसहारा माँ ने मिटटी का तेल डालकर अपने को आग के हवाले कर दिया।और उसके दोनों बेटे तथा बहुएं ये तमाशा देखते रहे। फिर क्या हुआ ,जब धुआं पड़ोस में दिखाई देने लगा ,तो पड़ोसियों ने उसे बचाने का पूरा प्रयास किया ,लेकिन जब तक वो 80 साल की माँ लगभग 70% जल चुकी थी। फिर भी वो चीख -चीख कर यही कह रही थी कि मैं अब तुम दोनों को फसा के ही दम तोडूंगी। लेकिन सब का सब उलटा हो गया। ये दोनों लड़के सरपंच के ख़ास हैं। अब बारी आयी सरपंच कि ,और ये कि इन ख़ास लोगों को कैसे बचाया जाए ,सो सरपंच ने तुरंत उस जली  माँ को अपनी कार में बैठाया और ले गया.अब महोदय इन लोगों ने क्या किया ,वो मुझे पता नहीं। शाम को जब जिला अस्पताल से शव वाहन इस माँ के शव को लेके आया तो मन रोने का हुआ और तसल्ली से खूब रोया भी।

महोदय, मुझे पता नहीं कि पुलिस को फ़ोन किसने किया या सूचित किया ,पुलिस जब आयी तब वो मृत शरीर पञ्च तत्व में विलीन हो चुका था। अब क्या होना चाहिए क्या नहीं, मुझे पता नहीं।फिर भी मेरा दिल कहता है कि भगवान् किसी माँ को ऐसी संतान न दे ,चाहे भले ही उसकी कोख ता उम्र सूनी रहे।


महोदय,एक विनम्र अनुरोध और करना चाहूंगा कि ये लोग इतने दबंग हैं कि किसी को कभी भी कुछ भी कर सकते हैं। सो यदि हो सके तो मेरा नाम गोपनीय रखने का कष्ट करें और यदि सम्भव न हो तो ,यदि इस कार्य हेतु मेरी जान भी चली गयी तो मैं अपने को सौभाग्यशाली समझूंगा। धन्यवाद् !

प्रेषक का नाम गोपनीय रखा गया है
पता है :-ग्राम पंचायत -पुरा ,जनपद पंचायत -लवकुशनगर ,-जिला -छतरपुर मप्र

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