भोपाल। एक जमाने में मध्यप्रदेश के शेडो सीएम रहे पूर्व केबीनेट मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा का सामाजिक जीवन पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है। तमाम मशक्कतों के बाद वो अपनी गिरफ्तारी से तो बच गए लेकिन व्यापमं का भूत अभी भी उनका पीछा कर रहा है।
एक नया खुलासा हुआ है कि व्यापमं की परीक्षाओं में गड़बड़ी के मुख्य आरोपी पंकज त्रिवेदी को तत्कालीन मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने ही डायरेक्टर बनवाया था। शर्मा के अनुमोदन पर ही त्रिवेदी को व्यापमं में परीक्षा नियंत्रक की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी। पूर्व मंत्री के ओएसडी रहे ओपी शुक्ला ने एसटीएफ को इसकी जानकारी दी है।
शुक्रवार को एसटीएफ द्वारा सीजेएम कोर्ट में पीएमटी 2012 में धांधली के 31 आरोपियों के खिलाफ पेश पूरक चालान में यह बात सामने आई है। इसके पहले इसी साल 28 जनवरी को मुख्य चालान पेश किया था।
चालान में शुक्ला के हवाले से बताया गया है कि लक्ष्मीकांत शर्मा पहले से ही त्रिवेदी से परिचित थे। उन्होंने ही त्रिवेदी को वर्ष 2011 में कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर से व्यापमं का परीक्षा नियंत्रक बनवाया था। उस वक्त त्रिवेदी इंदौर में स्वामी विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन योजना के प्रभारी थे। शुक्ला ने एसटीएफ को बताया है कि मंत्री उन्हें जिन छात्रों के रोल नंबर व एडमिशन कार्ड पास करवाने के लिए देते थे, उसे वे पंकज त्रिवेदी को पहुंचाते थे।
ओएमआर सीट खाली नहीं छोड़ी, इसलिए पास नहीं हुई मंत्री की बेटी
शुक्ला ने एसटीएफ को दिए बयान में बताया है कि पीएमटी-2012 में पास करवाने के लिए मंत्री ने उन्हें अपनी बेटी अपर्णा शर्मा व एक अन्य हर्षिता मिश्रा के नाम दिए थे। दोनों के रोल नंबर उन्होंने पंकज त्रिवेदी को दे दिए थे। हर्षिता तो पीएमटी में पास हो गई लेकिन अपर्णा नहीं हो पाई। अपर्णा ने ओएमआर सीट खाली छोड़ने के बजाय गलत उत्तरों पर गोले लगा दिए थे। इसी वजह से उसकी कॉपी में सुधार नहीं हो पाया।