अब शरबती गेंहू बनेगा मध्यप्रदेश की पहचान

भोपाल। मध्यप्रदेश के दर्जन भर जिलों में होने वाला शरबती गेंहू अब मध्यप्रदेश की पहचान बन जाएगा। उसके जीआई सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। इसके बाद अब दुनिया भर में शरबती गेंहू की पहचान मध्यप्रदेश के गेंहू के रूप में ही होगी।

अलग पहचान : संपूर्ण देश में अपनी विशिष्ट चमक, वजन व स्वाद के लिए प्रसिद्ध है यह गेहूं

क्या फायदा: जीआई सर्टिफिकेशन के बाद शरबती गेहूं पूरे विश्व में सिर्फ मध्य प्रदेश में उत्पादित होने वाली जिंस के रूप में जाना जाएगा
उत्पादन कहां: मप्र के सीहोर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, हरदा, अशोकनगर, भोपाल व मालवा क्षेत्र सहित कई जिलों में बहुतायत में होता है शरबती गेहूं का उत्पादन

ज्यादा कीमत: इस किस्म के गेहूं की कीमत भी है सबसे ज्यादा विदेशी बाजारों में भी इस गेहूं की है अच्छी मांग
खास बात: अभी कुछ माह पहले मध्य प्रदेश के बासमती चावल को भी जीआई सर्टिफिकेशन देने पर हुआ है निर्णय

संपूर्ण देश में अपनी विशिष्ट चमक, वजन और स्वाद के लिए प्रसिद्ध मध्य प्रदेश के गेहूं को जल्द ही अलग पहचान मिलेगी। प्रदेश के शरबती गेहूं का जीआई (जियोग्राफिकल इंडिकेशन/भोगौलिक उपदर्शन) रजिस्ट्रेशन कराने पर कार्य किया जा रहा है।

पंजीयन के पश्चात शरबती गेहूं पूरे विश्व में सिर्फ मध्य प्रदेश में उत्पादित होने वाली जिंस के रूप में जाना जाएगा। गौरतलब है कि अभी कुछ माह पहले प्रदेश के बासमती चावल को भी जीआई सर्टिफिकेशन देने पर निर्णय हुआ है।

प्रदेश में विशेषकर मालवा क्षेत्र में पैदा होने वाले शरबती गेहूं को जीआई सर्टिफिकेशन दिलवाने के लिए सीआईआई-इंदौर द्वारा एक विस्तृत स्टडी भी की जा चुकी है। कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआईआई) इंदौर की शाखा इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी फैसिलिटेशन सेंटर (आईपीएफसी) की प्रभारी प्रफुल्ल निकम का कहना है कि शरबती गेहूं पर स्टडी की जा चुकी है।

इस स्टडी में इससे संबंधित सभी डेटा को इकट्ठा किया गया है। डेटा में ये बातेें शामिल हैं कि मध्य प्रदेश में किस-किस क्षेत्र में इसकी पैदावार होती है, इसमें न्यूट्रीशियन की मात्रा कितनी है आदि। हमने डेटा कलेक्ट करने के बाद इसे चेन्नई ऑफिस भेज दिया है।

अगर सब कुछ सही रहा तो एक-दो वर्ष में जीआई सर्टिफिकेशन का कार्य पूरा हो जाएगा। आईपीएफसी के अधिकारियों का कहना है कि शरबती गेहूं को जीआई सर्टिफिकेशन दिलवाने का प्रस्ताव किसानों की एक समिति के माध्यम से भेजने की योजना है ताकि इसकी पैदावार करने वाले किसानों को इसका लाभ मिल सके।

स्टडी में पाया गया कि मध्य प्रदेश में अब उच्च कोटि के गेहूं का अधिकतम उत्पादन किया जा रहा है। किसान अब वैज्ञानिक खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं। स्वाद और गुणवत्ता की बदौलत मध्य प्रदेश के शरबती गेहूं की महानगरों में सबसे ज्यादा मांग है। इस किस्म के गेहूं की कीमत भी सबसे ज्यादा है।

इसे मुंबई, पुणे, अहमदाबाद और हैदराबाद जैसे महानगरों के थोक एवं खुदरा बाजारों में गोल्डन या प्रीमियम गेहूं के नाम से जाना जाता है। वहीं, उत्तर भारत के शहरों और दिल्ली के बाजार में इसे 'एमपी का गेहूं' नाम से भी जाना जाता है। इसके साथ ही विदेशी बाजारों में भी इस गेहूं की अच्छी मांग है।

कृषि विभाग के एक उच्चाधिकारी ने बताया, 'मध्य प्रदेश के लोकवन गेहूं की इतनी मांग है कि प्रदेश के करीब 12 चुनिंदा जिलों के गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीदारी की गई और उसी का निर्यात किया गया। मध्य प्रदेश के गेहूं की मांग विदेश में भी है।' मध्य प्रदेश में शरबती गेहूं सीहोर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, हरदा, अशोकनगर, भोपाल और मालवा क्षेत्र सहित कई जिलों में बहुतायत में होता है। 


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