जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने लोकायुक्त से पूछा है कि मंत्रियों और अधिकारियों के खिलाफ लोकायुक्त में लंबित जांच में देरी क्यों हो रही है। मुख्य न्यायाधीश एएम खानविलकर और जस्टिस केके त्रिवेदी की खंडपीठ ने लोकायुक्त को 3 सप्ताह के भीतर हर हाल में जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 18 जून को होगी।
मामले पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने लोकायुक्त द्वारा जवाब पेश नहीं करने पर नाराजगी जाहिर की। इस मामले में राज्य सरकार का जवाब आ चुका है। हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में बताया गया था कि लोकायुक्त में प्रदेश सरकार के 10 मंत्रियों, 46 आईएएस, 10 आईपीएस और 4 आईएफएस अधिकारियों के खिलाफ पिछले 7 से 10 सालों से जांच लंबित है।
याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार द्वारा अपेक्षित सहयोग नहीं करने के कारण मामलों की जांच अधर में है। याचिका में कहा गया कि लोकायुक्त ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि राज्य सरकार के असहयोगात्मक रवैये के कारण जांच धीमी है। राज्य सरकार आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा रही है, इसके चलते जांच पूरी नहीं हो पा रही है। हाईकोर्ट ने 6 सितंबर 2013 को शासकीय अधिवक्ता को सरकार से निर्देश प्राप्त कर जवाब पेश करने कहा था। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अरविंद श्रीवास्तव ने पैरवी की।
जांच की सीमा तय हो
याचिका में मांग की गई कि लोकायुक्त में लंबित मंत्रियों और अधिकारियों के खिलाफ लंबित जांच पूरी करने की समय-सीमा निर्घारित की जाए। राज्य सरकार को यह आदेश दिए जाएं कि लोकायुक्त द्वारा वांछित दस्तावेज और अन्य सहयोग प्रदान किया जाए।