नीमच। जावद उपजेल से फरार हुए कुख्यात कैदी शोएब लाल के मामले में जिस तरह की कहानी सामने आ रही है, उसने शक की सुई जेलर और जेल के सुरक्षा प्रशासन लाकर रख दी है। एक कुख्यात कैदी को प्लानिंग के तहत जेल से अस्पताल लाया गया और उसे आराम से फरार होने का मौका दिया गया। इतना ही नहीं उसके उचित ठिकाने पर पहुंचने तक मामले को छिपाए रखा गया।
बताया जा रहा है कि पिछले कुछ दिनों से शोएब लाला द्वारा बार-बार पेट में दर्द की शिकायत की जा रही थी। डॉक्टर दो-तीन बार जांच भी कर चुके थे। गुरुवार को सोची-समझी साजिश के तहत केवल दो जेल प्रहरी अनिल वैष्णव और अब्दुल मजीद शोएब लाला को वेन में लेकर जावद चिकित्सालय सुबह 10.50 बजे पहुंचे। यहां डॉ. ओपी ओझा ने शोएब की जांच की और उसे उपचार के लिए जिला चिकित्सालय रैफर करने की बात कही।
लगभग 11.50 बजे एक काले रंग की स्कोडा कार अस्पताल के सामने आकर रुकी। शोएब आराम से चलता हुआ कार तक पहुंचा और कार में बैठकर चला गया। मौजूद प्रहरियों ने कोई हंगामा नहीं किया, पकड़ने के लिए कोई मदद नहीं मांगी, पुलिस को सूचना तक नहीं दी गई, कोई नाका बंदी नहीं करवाई गई, उल्टे जेलर ने मामले को तब तक छिपाए रखा जब तक कि बदमाश किसी सुरक्षित ठिकाने तक नहीं पहुंच गया।
शोएब पर मध्यप्रदेश के अलावा राजस्थान के विभिन्ना थानों में कई अपराध दर्ज हैं। इनमें हत्या के प्रयास, मादक पदार्थों की तस्करी, फिरौती वसूलने सहित अन्य शामिल हैं।
जावद जेल उप अधीक्षक केएस खांडे का तर्क है कि प्रहरियों ने उन्हें शोएब के फरार होने की सूचना रात्रि पौने नौ बजे दी। तब तक प्रहरी अपने स्तर पर ही उसे वेन लेकर ढूंढते रहे। जबकि कुख्यात अपराधियों के बारे में पल-पल की खबर लेते रहना अधीक्षक की जिम्मेदारी है। शाम के समय सभी बंदियों के बारे में जेलर द्वारा जानकारी ली जाती है, जबकि इस मामले में रात नौ बजे तक जेलर को जानकारी नहीं थी, ऐसा लगता नहीं है।
एसपी को दूसरों से मिली सूचना
इस मामले में खास बात यह भी है कि एसपी रूडोल्फ अल्वारेस को पुलिस की बजाय अन्य लोगों से अपराधी के फरार होने के बारे में सूचनाएं मिलती रहीं। एसपी ने जब जावद टीआई से इस बारे में पता किया तो उन्हें भी जेल स्टाफ ने कोई सूचना नहीं दी थी। बाद में जावद टीआई ने सीधे जेलर खांडे को फोन लगाया तो उन्होंने घटना के बारे में बताया। इससे भी पूरा माजरा संदिग्ध लगता है।
9 अप्रैल को किया था रैफर
पिड़ताल में जानकारी मिली है कि जावद के चिकित्सक द्वारा आरोपी शोएब के पेट में पथरी के उपचार के लिए उसे ९ अप्रैल को ही जिला चिकित्सालय में रैफर कर दिया था। इसके बाद फिर 10 फरवरी को उसे जावद चिकित्सालय में ले जाने के पीछे क्या मंशा थी? इससे प्रतीत हो रहा है कि संभवतः उसे मदद करने की नियत से ऐसा किया गया होगा