चार लाख से अधिक का कमीशन लेते धरा गया पीएचई का ईई

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राजेश शुक्ला/अनूपपुर। जिला मुख्यालय स्थित लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी विभाग में 3 अप्रैल की दोपहर लगभग २:२० बजे लोकायुक्त रीवा के 25 सदस्यीय दल ने छापामार कार्यवाही की। शिकायतकर्ता ने लोकायुक्त से शिकायत की थी कि उसके बिल पास करने के एवज में कार्यपालन यंत्री तथा वरिष्ठ लेखापाल द्वारा रिश्वत की मांग की जा रही है।

शिकायतकर्ता की शिकायत के पश्चात मामले की प्रारंभिक पड़ताल की गई तो शिकायत सही निकली जिसके बाद ब्यूह रचनाकर रिश्वतखोर अधिकारी और कर्मचारी को रंगे हाथो ट्रेप किया गया।

यह है मामला

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित गोयल बोरबेल द्वारा लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी विभाग अंतर्गत जैतहरी तथा कोतमा में बोर उत्खनन का कार्य कराया गया था जिसका बिल 24 लाख 30 हजार रूपयें का था, इस बिल के एवज में कार्यपालन यंत्री एचएस धुर्वे तथा वरिष्ठ लेखापाल एसके मिश्रा 20 प्रतिशत के हिसाब से अपना हिस्सा मांग रहे थे, जिसकी शिकायत गोयल बोरबेल के कर्मचारी विजय शंकर दुबे ने लोकायुक्त रीवा से की।

अब तक की सबसे बड़ी सफलता

लोकायुक्त द्वारा प्रदेश भर में की गई कार्यवाही में यह सबसे बड़ी कार्यवाही थी, पूर्व में रिश्वत के पश्चात छापामार कार्यवाही में संपत्ति का खुलासा होता रहा किन्तु इस बार वरिष्ठ लेखापाल एसके मिश्रा से पास से 3 लाख 66 हजार तथा 5 प्रतिशत के हिसाब से कार्यपालन यंत्री एचएस धुर्वे के पास से 1 लाख 22 हजार रूपयें जप्त हुयें। एक ही छत के नीचे लाखो की रिश्वत का मामला लोकायुक्त ने पकड़ा।

कार्यवाही में रहे शामिल

इस कार्यवाही में निरीक्षक अशोक पांडेय, विद्या वारिदि तिवारी, हितेन््र नाथ शर्मा, प्रधान आरक्षक विपिन त्रिवेदी समेत आधा दर्जन आरक्षक भी उपस्थित रहे, लोकायुक्त निरीक्षक ने शिकायत कर्ता विजय शंकर द्विवेदी की फर्म का वह चेक भी जप्त किया जिसे पास करने के लिये रिश्वत की मांग की जा रही थी।

उजागर हुआ कमीशन का खेल

लोकायुक्त की कार्यवाही में जिला प्रशासन के तमाम दावो की पोल खोल दी है। अनुशासन का डंडा तथा सुशासन का पाठ किनारे कर अधिकारी रिश्वत खोरी करने में कोई कोताही नही बरत रहे है। जिले के तमाम वरिष्ठ कार्यालयों में रिश्वत का खेल श्रृखला बद्ध तरीके से चल रहा है।

आयुक्त को झूठा प्रतिवेदन

संभागायुक्त द्वारा नल जल योजना के तहत जिले भर से मांगी गई जानकारी में ईई पीएचई ने जो प्रतिवेदन दिया था उसके मुताबिक जिले में 40 नल जल योजनाएं सुचारू रूप से संचालित थी किन्तु इनमें उन सभी जगहो का नाम भी शामिल किया गया था जहां योजना प्रारंभ होने के पूर्व ही समाप्त हो गई। शिकायत के बाद जांच की बात कहीं गई किन्तु नतीजा सिफर ही रहा। 


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