इंश्योरेंस क्लेम करना है तो 48 घंटे में कराएं चोरी की एफआईआर

shailendra gupta
ग्वालियर। यदि आपकी कार या बाइक चोरी चली गई है तो 48 घंटे के अंदर थाने में एफआईआर कराकर अपनी इंश्योरेंस कंपनी को सूचना दें। यदि पुलिस की लापरवाही या अन्य किसी कारण से आपको एफआईआर कराने में देरी हो जाती है, तो इंश्योरेंस कंपनी आपका क्लेम कैंसल या लटका भी सकती है।

ऐसी स्थिति में आपकी गाड़ी तो गई ही, साथ ही आपके हाथ से इंश्योरेंस क्लेम भी जाएगा। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं। पिछले कुछ दिन में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें इंश्योरेंस कंपनी को देर से वाहन चोरी की सूचना देने और कोई उचित कारण नहीं बता पाने की वजह से वाहन मालिक को क्लेम की राशि से भी हाथ धोना पड़ा है।

क्या है नियम
निजी या अर्द्धशासकीय जितनी भी कंपनिया इंश्योरेंस की फील्ड में हैं। सभी का समान नियम है कि कोई भी घटना जैसे कार या बाइक चोरी होने के 48 घंटे के अंदर एफआईआर कराकर कंपनी को सूचित करना होता है। यदि वाहन मालिक इससे ज्यादा समय लेता है और फिर क्लेम के लिए कार्रवाई करता है तो उसका क्लेम लटक भी सकता है।

थानों में होती है लापरवाही
जब भी थाने में कोई वाहन चोरी की सूचना दी जाती है, तो पुलिस उसे गंभीरता से नहीं लेती। सिर्फ फरियादी को अपने स्तर पर वाहन की तलाश करने और बाद में आकर एफआईआर दर्ज कराने की बात कहती है। 48 घंटे के प्रावधान की जानकारी आमतौर पर लोगों को नहीं होती और वह पुलिस की लापरवाही का शिकार हो जाते हैं। दो दिन से अधिक समय के बाद जब वह एफआईआर कराकर इंश्योरेंस कंपनी को क्लेम के लिए सूचना देते हैं। तब तक काफी देर हो चुकी होती है।

बाद में होती है परेशानी
किसी भी कारण से वाहन चोरी की शिकायत और एफआईआर डेट में 48 घंटे से ज्यादा का अंतर आने पर वाहन मालिक को काफी परेशानी होती है। जब वह क्लेम के लिए जाते हैं, तो उनकी रिपोर्ट निगेटिव शो होती है। ऐसे में क्लेम कैंसल हो जाता है। इसके बाद एक लंबी प्रोसेस होती है और कोर्ट अपील के बाद ही क्लेम मिलता है, लेकिन इसमें काफी समय लग जाता है।

एक साल में इतने वाहन होते हैं चोरी
शहर में पिछले वर्षो में वाहन चोरी की घटना काफी तेजी से बढ़ी हैं। वर्ष 2000 में जहां वाहन चोरी की औसतन वारदातें 500 से 600 होती थीं, वहीं 2010 से 2014 तक वाहन चोरी की औसतन वारदातें 1300 से 1400 के लगभग पहुंच गई हैं।

केस-1
हरिशंकरपुरम निवासी आनंद कुमार की बाइक 24 दिसंबर को चोरी हुई थी। थाने में उसी दिन उन्होंने शिकायत की थी। पुलिस ने अपने स्तर पर वाहन तलाश करने की बात कही। अगले दिन वह थाने एफआईआर के लिए गए, तो पुलिस ने उन्हें दो दिन बाद आने को कहा। दिसंबर साल का आखिरी महीना होने के चलते पुलिस ने 1 जनवरी 2014 को एफआईआर की। जब बाइक के मालिक ने इंश्योरेंस क्लेम के लिए कार्रवाई की तो गाड़ी चोरी और एफआईआर डेट में गैप से उनकी रिपोर्ट निगेटिव बनी और बैंक ने उनका क्लेम कैंसल कर दिया।

केस-2
पटेल नगर निवासी सुमित की बाइक वहीं एक अपार्टमेंट के बाहर से 20 दिसंबर को चोरी हुई थी। उन्हें भी साल के आखिरी महीने के चक्कर में पुलिस ने लंबा घुमाया और 2 जनवरी में उनकी एफआईआर हुई। जब उन्होंने एफआईआर की कॉपी के साथ क्लेम के लिए प्रोसेस पूरी की तो उनके पास लेटर आया कि गाड़ी चोरी होने और एफआईआर डेट में काफी अंतर होने और उसका स्पष्ट कारण नहीं बताने पर क्लेम कैंसल किया जा रहा है।

इनका कहना है
गाड़ी चोरी होने के बाद 48 घंटे के भीतर एफआईआर कराकर इंश्योरेंस कंपनी को क्लेम के लिए सूचना दे देनी चाहिए। इससे क्लेम मिलने में कभी भी परेशानी नहीं आएगी। 48 घंटे के बाद सूचना देने पर क्लेम में परेशानी आ सकती है।
बीएल शर्मा, इंश्योरेंस ऑफिसर
द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी प्राइवेट लिमिटेड

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