चुनाव 2014: लहर है, तो किसकी और क्यों ?

राकेश दुबे@प्रतिदिन। कल असम और त्रिपुरा की लोकसभा सीटों के साथ, 2014 के चुनाव हेतु मतदान शुरू हो जायेगा| भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार अब 272+ के स्थान पर 300 सीटों के बात करने लगे हैं| चुनाव के इतिहास में यह आंकड़ा स्व. राजीव गाँधी ने  प्राप्त किया था, उस समय एक लहर थी| सहानुभूति की|

कुछ लोग इस चुनाव में लहर है, ऐसा मानते हैं और कुछ लहर पैदा करने में लगे हैं| जो लहर मानते हैं शायद अति आत्म विश्वास में हैं और जो पैदा करने की कोशिश में हैं उनके इरादे चुनाव को एक वोट बैंक में समेटने का दिखता है| दोनों ही स्थितियां प्रजातंत्र के लिए ठीक नहीं है| दोनों ही जिस वातावरण का निर्माण करेंगी वह देश के प्रजातांत्रिक स्वरूप की चमक को कम करेगा|

भारतीय शेयर बाज़ार चुनाव के दौरान हमेशा कुछ संकेत देता है। आम चुनाव का समय अनिश्चितता का होता है और शेयर बाज़ार में शेयर के भाव जितने तेज़ी से बढ़ते हैं, उतनी ही तेज़ी से नीचे भी गिर जाते हैं। साल 2009 के आम चुनाव से पहले ऐसा ही हुआ था। भारतीय बाज़ार पिछले पांच साल से कठिन दौर से गुज़र रहा है। यहां लंबे अरसे तक मंदी छाई रही है। इस अरसे में विदेशी निवेशकों ने अपने पैसे निकाल लिए।इसके अलावा, आर्थिक विकास की दर लगातार घटती जा रही है और आर्थिक सुधार लगभग रुक गए हैं। सवाल ये है कि ऐसे में शेयर बाज़ार में तेज़ उछाल आने का क्या कारण है? उत्तर शेयर बाज़ार से ही आया है, भारी प्रचार|

पिछले आम चुनावों के नतीजे “खंडित जनादेश” थे | कुछ राज्यों में तब दोनों ही प्रमुख दलों की सरकारे थीं |इस बार ये समीकरण और पैमाना भारतीय जनता पार्टी और एनडीए के पक्ष में दिखता है| नरेंद्र मोदी इसे अपने पक्ष कि लहर  मान रहे हैं | यह सच है कि भारतीय जनता पार्टी की स्वीकार्यता बड़ी है, परन्तु इतनी नहीं कि 300 का जादुई आंकड़ा दिखने लगे|

भारतीय जनता पार्टी की मौजूदगी वाले बड़े राज्यों पर नजर डालें, तो एक अजीब सी स्थिति दिखती है| कम-से-कम चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में तो यही अनुमान लगाया जा रहा है कि महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में से कहीं भी कांग्रेस भाजपा से अधिक सीटें नहीं जीतने जा रही है| यहां तक कि कर्नाटक, जहां कुछ महीने पहले ही कांग्रेस को जीत हासिल हुई है, को भी ज्यादातर सर्वेक्षण भाजपा के खाते में ही जाता हुआ दिखा रहे हैं. सिर्फ एक सर्वेक्षण वहां कांग्रेस की बढ़त बता रहा है| मतदान पश्चात किये गये सर्वेक्षण कल इस स्थिति पर कुछ रोशनी डालेंगे| तब लहर का पता चलेगा, कौन डूब रहा है और कौन उबर रहा है|

लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com

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